Samaj - Vigyan Vishwakosh : Vols. 1-6

Collected Works - Rachnawali
As low as ₹6,400.00 Regular Price ₹8,000.00
You Save 20%
In stock
Only %1 left
SKU
Samaj - Vigyan Vishwakosh : Vols. 1-6
- +

छह खंडों और तीन हज़ार पृष्ठों में फैला समाज-विज्ञान और मानविकी का यह विश्वकोश राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के 26 विद्वानों के मार्गदर्शन में 60 समाज-वैज्ञानिकों द्वारा अनुवाद का सहारा लिए बिना मूल हिन्दी में तैयार किया गया है। कोश की 1015 प्रविष्टियाँ विश्व के 229 समाज-वैज्ञानिकों, सिद्धान्तकारों, दार्शनिकों, समाज-चिन्तकों, साहित्य-निर्माताओं और विमर्शकारों के कृतित्व की जानकारी देने के साथ-साथ सभी महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं, दर्शनों, बहसों, क्रान्तियों और आन्दोलनों का विश्लेषणात्मक परिचय देती हैं। अर्थशास्त्र की 104, इतिहास की 107, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध की 52, दर्शन की 135, राजनीतिशास्त्र की 448, मीडिया, फ़िल्म और टीवी-अध्ययनों की 50, स्त्री और सेक्सुअलिटी-अध्ययन की 69, समाजशास्त्र और मानवशास्त्र की 140 प्रविष्टियों के अतिरिक्त इस कोश में गांधी-विचार से सम्बन्धित 32 और मार्क्सवाद से सम्बन्धित 117 प्रविष्टियाँ भी दर्ज हैं।

समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, भाषाशास्त्र, मनोविज्ञान, स्त्री-अध्ययन, सेक्सुअलिटी-अध्ययन, संस्कृति-अध्ययन, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध-अध्ययन, मीडिया-अध्ययन, फ़िल्म-अध्ययन, टीवी-अध्ययन, साहित्य-अध्ययन, इतिहास और दर्शनशास्त्र के अध्येताओं, छात्रों, अध्यापकों, पत्रकारों, बुद्धजीवियों और गम्भीर पाठकों के लिए उपयोगी इस कोश की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी 430 प्रविष्टियाँ भारतीय दर्शन, राजनीति, समाज, संस्कृति, मीडिया, आधुनिकता और इतिहास पर विशेष रूप से प्रकाश डालती हैं। भारतीय लोकतंत्र, भारतीय राज्य, भारतीय सेकुलरवाद, दलित-विमर्श, हिन्दुत्ववादी विमर्श, भारत के राजनीतिक दलों और राज्यों की राजनीति की जानकारी देनेवाली प्रविष्टियों के अतिरिक्त भारतीय धर्म-दर्शन से सम्बन्धित प्रविष्टियों में उन दार्शनिकों, विचारकों और सिद्धान्तकारों के बौद्धिक परिचय भी शामिल हैं जिन्हें अंग्रेज़ी और पश्चिम द्वारा थमाए गए सिद्धान्तों के प्रभाव में लगभग अदृश्य कर दिया गया है। कई प्रविष्टियाँ आधुनिक भारत की संस्थागत संरचना में निर्णायक योगदान देनेवाली हस्तियों पर भी हैं। विश्वकोश में हिन्दी के निर्माताओं, साहित्य और विचार-जगत पर भी काफ़ी सामग्री है।

‘अतिक्रमण’ से ‘अन्तरराष्ट्रीय मुद्राकोष’ तक पहले खंड की 154 प्रविष्टियों में इतिहास-लेखन के अनाल स्कूल से लेकर टॉयनबी और स्पेंगलर के कृतित्व; कौटिल्य के अर्थशास्त्र और आर्यभट्ट के योगदान; एडम स्मिथ, अल्फ़्रेड मार्शल और अमर्त्य सेन के आर्थिक चिन्तन; एंटोनियो ग्राम्शी के विचारों; आधुनिकता की सैद्धान्तिक योजना; अमेरिका के अफ़र्मेटिव एक्शन और भारत में आरक्षण के विभिन्न पहलुओं; उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन के सशस्त्र और शान्तिपूर्ण आयामों, अल-ग़ज़ाली, इब्न ख़ाल्दून, अल-किन्दी, अबु-अला मौदूदी और असग़र अली इंजीनियर के विमर्श; एडमंड बर्क, ई.एच. कार, एडवर्ड सईद, एरिक फ़्रॉम और आशिस नंदी के विमर्श की झलकियाँ; अमेरिकी क्रान्ति और आत्मसम्मान आन्दोलन से लेकर अंग्रेज़ी हटाओ आन्दोलन तक के ब्योरे शामिल हैं।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2013
Edition Year 2016, Ed. 2nd
Pages 2279p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 15 X 15
Write Your Own Review
You're reviewing:Samaj - Vigyan Vishwakosh : Vols. 1-6
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Author: Abhay Kumar Dubey

अभय कुमार दुबे

 

Read More
Books by this Author

Back to Top