Safai Kamgar Samuday

You Save 10%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Safai Kamgar Samuday

सिर पर मैला ढोने की प्रथा मानव सभ्यता की सबसे बड़ी विडम्बनाओं में से एक रही है। सोचनेवाले सदा से सोचते रहे हैं कि आख़िर ये कैसे हुआ कि कुछ लोगों ने अपने ही जैसे मनुष्यों की गन्दगी को ढोना अपना पेशा बना लिया। इस पुस्तक का प्रस्थान बिन्दु भी यही सवाल है। लेखक संजीव खुदशाह ने इसी सवाल का जवाब हासिल करने के लिए व्यापक अध्ययन किया, विभिन्न वर्गों के लोगों, विचारकों और बुद्धिजीवियों से विचार-विमर्श किया। उनका मानना है कि इस पेशे में काम करनेवाले लोग यहाँ की ऊँची जातियों से ही, ख़ासकर क्षत्रिय एवं ब्राह्मण जातियों से निकले। इसी तरह किसी समय श्रेष्ठ समझी जानेवाली डोम वर्ग की जातियाँ भी इस पेशे में आईं। लेखक ने इन पृष्ठों में सफ़ाई कामगार समुदायों के बीच रहकर अर्जित किए गए अनुभवों का विवरण भी दिया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2005
Edition Year 2015, Ed. 2nd
Pages 127p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Safai Kamgar Samuday
Your Rating
Sanjeev Khudshah

Author: Sanjeev Khudshah

संजीव खुदशाह

आपका जन्म 12 फरवरी, 1973 को बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ। आपने एम.ए., एल.एल.बी. तक शिक्षा प्राप्त की। आप देश में चोटी के दलित लेखकों में शुमार किए जाते हैं और प्रगतिशील विचारक, कवि, कथाकार, समीक्षक, आलोचक एवं पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं। आपकी रचनाएँ देश की लगभग सभी अग्रणी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘सफ़ाई कामगार समुदाय’ एवं ‘आधुनिक भारत में पिछड़ा वर्ग’ आपकी चर्चित कृतियों में शामिल हैं। आपकी किताबें मराठी, पंजाबी एवं ओड़िया सहित अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। आपको देश के नामचीन विश्वविद्यालयों द्वारा व्याख्यान देने हेतु आमंत्रित किया जाता रहा है। आपकी पहचान मिमिक्री कलाकार एवं नाट्यकर्मी के रूप में भी है। आप कई पुरस्कारों एवं सम्मानों से सम्मानित किए जा चुके हैं। फ़िलहाल आप राजस्व विभाग में कार्यपालक पद पर कार्यरत हैं।

ई-मेल : sanjeevkhudshah@gmail.com

Read More
Books by this Author
Back to Top