Sach, Pyar Aur Thodi Si Shararat-Paper Back

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अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध पत्रकार, स्तम्भकार और कथाकार खुशवंत सिंह की आत्मकथा सिर्फ़ आत्मकथा नहीं, अपने समय का बयान है। एक पत्रकार की हैसियत से उनके सम्पर्कों का दायरा बहुत बड़ा रहा है। इस आत्मकथा के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन के राजनीतिक, सामाजिक माहौल की पुनर्रचना तो की ही है, पत्रकारिता की दुनिया में झाँकने का मौक़ा भी मुहैया किया है। भारत के इतिहास में यह दौर हर दृष्टि से निर्णायक रहा है। इस प्रक्रिया में न जाने कितनी जानी-मानी हस्तियाँ बेनक़ाब हुई हैं और न जाने कितनी घटनाओं पर से पर्दा उठा है। ऐसा करते हुए खुशवंत सिंह ने हैरत में डालनेवाली साहसिकता का परिचय दिया है।

खुशवंत सिंह यह काम बड़ी निर्ममता और बेबाकी के साथ करते हैं। ख़ास बात यह है कि इस प्रक्रिया में औरों के साथ उन्होंने ख़ुद को भी नहीं बख़्शा है। वक़्त के सामने खड़े होकर वे उसे पूरी तटस्थता से देखने की कामयाब कोशिश करते हैं। इस कोशिश में वे एक हद तक ख़ुद अपने सामने भी खड़े हैं —ठीक उसी शरारत-भरी शैली में जिससे ‘मैलिस’ स्तम्भ के पाठक बख़ूबी परिचित हैं, जिसमें न मुरौवत है और न संकोच।

उनकी ज़िन्दगी और उनके वक़्त की इस दास्तान में ‘थोड़ी-सी गप है, कुछ गुदगुदाने की कोशिश है, कुछ मशहूर हस्तियों की चीर-फाड़ और कुछ मनोरंजन’ के साथ बहुत कुछ जानकारी भी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2008
Edition Year 2022, Ed. 8th
Pages 388p
Price ₹499.00
Translator Nirmala Jain
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2.5
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Khushwant Singh

Author: Khushwant Singh

खुशवन्त सिंह

जन्म : 15 अगस्त, 1915, हडाली (अब पाकिस्तान में)। 

शिक्षा : लाहौर से स्नातक तथा किंग्स कॉलेज, लंदन से एल.एल.बी.।

1939 से 1947 तक लाहौर हाईकोर्ट में वकालत की। विभाजन के बाद भारत की राजनयिक सेवाके अन्तर्गत कनाडा में इन्फ़ॉर्मेशन अफ़सरतथा इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त के प्रेस अटैचीरहे। कुछ वर्षों तक प्रिंस्टन तथा स्वार्थमोर विश्वविद्यालयों में अध्यापन भी किया।

भारत लौटकर नौ वर्षों तक इलस्ट्रेटेड वीकलीतथा तीन वर्षों तक हिन्दुस्तान टाइम्सका कुशल सम्पादन किया। हिन्दुस्तान टाइम्सतथा संडेके लिए नियमित रूप से क्रमश : विद मैलिस टुवड्र र्स वन एंड ऑलएवं गॉसिप, स्वीट एंड सॉरलिखते रहे तथा पेंगुइन बुक्स इंडियामें सलाहकार सम्पादक के पद पर भी कार्यरत रहे।

प्रमुख कृतियाँ : पाकिस्तान मेल, मेरा लहुलूहान पंजाब, सच प्यार और थोड़ी सी शरारत, मृत्यु मेरे द्वार पर, प्रतिनिधि कहानियाँ, हिस्ट्री ऑफ सिख्स के दो खंड तथा रंजीत सिंह। अनेक लेखमालाओं के अतिरिक्त उर्दू और पंजाबी में कई अनुवाद भी किए।

1980 में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए। 1974 में पद्मभूषणकी उपाधि मिली, जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टारके खिलाफ गुस्सा जताते हुए लौटा दिया।

निधन : 20 मार्च, 2014

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