Mera Lahuluan Punjab

Author: Khushwant Singh
Translator: Usha Mahajan
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Mera Lahuluan Punjab
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बैसाख की पहली तिथि पंजाबी पंचांग के अनुसार नववर्ष दिवस के रूप में मनाई जाती है। इसी दिन 13 अप्रैल, 1978 को जरनैल सिंह भिंडरावाले ने धूम-धड़ाके से पंजाब के रंगमंच पर पदार्पण किया। इस घटना से न केवल पंजाब के जन-जीवन में तूफ़ान आया बल्कि पूरे देश के लिए इसके दूरगामी परिणाम हुए। पूरा पंजाब अशान्त और आतंकवाद के हाथों क्षत-विक्षत हो गया और धीरे-धीरे यह समस्या इतनी पेचीदा बन गई कि देश की अखंडता के लिए यह सचमुच का ख़तरा बनती दिखाई दी। सुप्रसिद्ध लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह की प्रस्तुत पुस्तक सुस्पष्ट रूप से इस समस्या का इतिहास दर्शाती है, स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद पंजाबियों के गिले-शिकवों और असन्तोष का विवरण देती है, और सभी प्रमुख घटनाओं पर रोशनी डालती है।

लेखक का व्यक्तिगत जुड़ाव पुस्तक को विशेष प्रामाणिकता प्रदान करता है, जो लगभग इसके प्रत्येक पृष्ठ पर प्रकट है। इसमें लेखक ने एक तरफ़ पंजाब की राजनीति तथा दूसरी ओर केन्द्र सरकार द्वारा जानबूझकर खेले जानेवाले शरारतपूर्ण राजनीतिक खेलों पर अपने विचार प्रकट किए हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत के सबसे उन्नतिशील राज्य की प्रगति के मार्ग में गत्यवरोध आ गया, यहाँ की कृषि और औद्योगिक अर्थव्यवस्था तहस-नहस होने लगी, इसका प्रशासन और न्यायपालिका पंगु बनकर रह गए। जो लोग इस गत्यवरोध को अधिक गहराई से समझना चाहते हैं, उनके लिए यह पुस्तक अवश्य पठनीय है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1993
Edition Year 2010, Ed. 2nd
Pages 168p
Translator Usha Mahajan
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Khushwant Singh

Author: Khushwant Singh

खुशवन्त सिंह

जन्म : 15 अगस्त, 1915, हडाली (अब पाकिस्तान में)। 

शिक्षा : लाहौर से स्नातक तथा किंग्स कॉलेज, लंदन से एल.एल.बी.।

1939 से 1947 तक लाहौर हाईकोर्ट में वकालत की। विभाजन के बाद भारत की राजनयिक सेवाके अन्तर्गत कनाडा में इन्फ़ॉर्मेशन अफ़सरतथा इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त के प्रेस अटैचीरहे। कुछ वर्षों तक प्रिंस्टन तथा स्वार्थमोर विश्वविद्यालयों में अध्यापन भी किया।

भारत लौटकर नौ वर्षों तक इलस्ट्रेटेड वीकलीतथा तीन वर्षों तक हिन्दुस्तान टाइम्सका कुशल सम्पादन किया। हिन्दुस्तान टाइम्सतथा संडेके लिए नियमित रूप से क्रमश : विद मैलिस टुवड्र र्स वन एंड ऑलएवं गॉसिप, स्वीट एंड सॉरलिखते रहे तथा पेंगुइन बुक्स इंडियामें सलाहकार सम्पादक के पद पर भी कार्यरत रहे।

प्रमुख कृतियाँ : पाकिस्तान मेल, मेरा लहुलूहान पंजाब, सच प्यार और थोड़ी सी शरारत, मृत्यु मेरे द्वार पर, प्रतिनिधि कहानियाँ, हिस्ट्री ऑफ सिख्स के दो खंड तथा रंजीत सिंह। अनेक लेखमालाओं के अतिरिक्त उर्दू और पंजाबी में कई अनुवाद भी किए।

1980 में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए। 1974 में पद्मभूषणकी उपाधि मिली, जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टारके खिलाफ गुस्सा जताते हुए लौटा दिया।

निधन : 20 मार्च, 2014

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