Mrityu Mere Dwar Par

Author: Khushwant Singh
Translator: Shubhankar Mishra
Edition: 2019, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Mrityu Mere Dwar Par
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यह पुस्तक अंग्रेज़ी के मशहूर लेखक खुशवन्त सिंह की पुस्तक ‘डेथ एट माई डोरस्टेप : ओबिट्युअरीज़’ का अनुवाद है जिसमें उन्होंने कई महान हस्तियों को श्रद्धांजलि देते हुए मृत्यु के विषय में अपना नज़रिया व्यक्त किया है।

पुस्तक के पहले खंड में उन्होंने दलाई लामा एवं आचार्य रजनीश के मृत्यु के बारे में विचारों को रखा है और बुढ़ापा, मृत्यु का अनुभव, मृत्यु के पश्चात् जीवन और मृतकों से ज्ञान के बारे में काफ़ी दिलचस्प अन्दाज़ में लिखा है। पुस्तक के दूसरे खंड में कई हस्तियों की मृत्यु के पश्चात् लिखी गई श्रद्धांजलियाँ जिनमें जेड.ए. भुट्टो, संजय गांधी, माउंटबेटन, रजनी पटेल, धीरेन भगत, प्रभा दत्त, हरदयाल, मुल्कराज आनन्द, नीरद बाबू, बलवन्त गार्गी, फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’, आर.के. नारायण, प्रोतिमा बेदी, नरगिस दत्त, अमृता शेरगिल, भीष्म साहनी सहित अपनी दादी माँ, राज-विला के छज्जू राम और अपने कुत्ते सिम्बा के अलावा अपने ऊपर भी समाधि लेख लिखा है।

इस पुस्तक को पढ़ते हुए खुशवन्त सिंह के चुटीले और खिलंदड़े अन्दाज़ की झलक मिलेगी और उनकी तटस्थता पाठकों को बेहद प्रभावित करेगी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 191p
Translator Shubhankar Mishra
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Khushwant Singh

Author: Khushwant Singh

खुशवन्त सिंह

जन्म : 15 अगस्त, 1915, हडाली (अब पाकिस्तान में)। 

शिक्षा : लाहौर से स्नातक तथा किंग्स कॉलेज, लंदन से एल.एल.बी.।

1939 से 1947 तक लाहौर हाईकोर्ट में वकालत की। विभाजन के बाद भारत की राजनयिक सेवाके अन्तर्गत कनाडा में इन्फ़ॉर्मेशन अफ़सरतथा इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त के प्रेस अटैचीरहे। कुछ वर्षों तक प्रिंस्टन तथा स्वार्थमोर विश्वविद्यालयों में अध्यापन भी किया।

भारत लौटकर नौ वर्षों तक इलस्ट्रेटेड वीकलीतथा तीन वर्षों तक हिन्दुस्तान टाइम्सका कुशल सम्पादन किया। हिन्दुस्तान टाइम्सतथा संडेके लिए नियमित रूप से क्रमश : विद मैलिस टुवड्र र्स वन एंड ऑलएवं गॉसिप, स्वीट एंड सॉरलिखते रहे तथा पेंगुइन बुक्स इंडियामें सलाहकार सम्पादक के पद पर भी कार्यरत रहे।

प्रमुख कृतियाँ : पाकिस्तान मेल, मेरा लहुलूहान पंजाब, सच प्यार और थोड़ी सी शरारत, मृत्यु मेरे द्वार पर, प्रतिनिधि कहानियाँ, हिस्ट्री ऑफ सिख्स के दो खंड तथा रंजीत सिंह। अनेक लेखमालाओं के अतिरिक्त उर्दू और पंजाबी में कई अनुवाद भी किए।

1980 में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए। 1974 में पद्मभूषणकी उपाधि मिली, जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टारके खिलाफ गुस्सा जताते हुए लौटा दिया।

निधन : 20 मार्च, 2014

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