Dharm Nirpekshta Banam Rashtriya Sanskriti

Author: Kuber Nath Rai
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Dharm Nirpekshta Banam Rashtriya Sanskriti
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धर्मनिरपेक्षता बनाम राष्ट्रीय संस्कृति के अधिकतर निबन्ध समय, समाज साहित्य अर्थात् समग्र जीवन के वास्तविक सौन्दर्य के अन्वेषण में संलग्न हैं।

श्री राय भारतीय दर्शन, संस्कृति, साहित्य के प्रति भरपूर सम्मान भाव रखते हैं। देशबोध और मैथिली शरण गुप्त शीर्षक निबन्ध में वे देशबोध अर्थात् भारतबोध की अवधारणा प्रस्तुत करते हैं। यह बोध दम, त्याग और अप्रमाद पर आधारित है और कतई संकीर्ण नहीं है।

राजनीतिक मुद्दे हों, इतिहास के सवाल हों या साहित्य-विवेचन; इन सभी गम्भीर विषयों में श्री राय के बहु-पठित और गम्भीर विश्लेषक होने का प्रमाण मिलता है। भारत-बोध या देशप्रेम के आसपास विचरण करती उनकी चिन्तना अनेक पूर्वग्रहों का सतर्क उन्मूलन करती है। यह सत्य है कि धर्मनिरपेक्षता बनाम राष्ट्रीय संस्कृति के कई निबन्धों में वैचारिक गरिष्ठता अधिक है फिर भी मौलिक स्थापनाओं के चलते वे पठनीय बने रहते हैं। आज के संक्रमणशील यथार्थ और वैचारिक द्वन्द्व को समझने और वांछित सन्देश सम्प्रेषित करने में वे प्रासंगिक हैं। श्री राय के ये निबन्ध विस्मृति के आखेट बने रह जाते हैं। इन निबन्धों से असहमति की गुंजाइश कम नहीं है लेकिन श्री राय की अध्ययनशीलता, तर्कपूर्ण विश्लेषण, मौलिक वैचारिकता की उपेक्षा सम्भव नहीं है। श्री राय ने लोक साहित्य और संस्कृत वाङ्मय का बहुत सहारा न लेते हुए अपने ललित निबन्धों का जो विशेष मुहावरा गढ़ा था, वह इन रचनाओं में भी अपनी ऊर्जा और दीप्ति के साथ वर्तमान है।

 

डॉ. वेदप्रकाश 'अमिताभ'

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 243p
Translator Not Selected
Editor Mohammad Harud Rasheed Khan
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Author: Kuber Nath Rai

कुबेरनाथ राय

हिन्दी के प्रख्यात निबन्धकार कुबेरनाथ राय का जन्म 26 मार्च 1933 को उत्तर-प्रदेश के गाजीपुर जिले के मतसौ ग्राम में हुआ। क्विंस कालेज तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी और कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। अपने सेवाकाल के आरम्भ में उन्होंने विक्रम विद्यालय, कोलकाता में अध्यापन किया। उसके बाद वे नलबारी, असम में अंग्रेजी के प्राध्यापक और सहजानन्द महाविद्यालय, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश के प्राचार्य रहे।

प्रकाशित कृतियाँ : निबन्ध-प्रिया नीलकंठी, रस आखेटक, गंधमादन, निषाद बांसुरी, विषाद योग, पर्ण- मुकुट, महाकवि की तर्जनी, पत्र मणिपुतुल के नाम, मनपवन की नौका, किरात नदी में चन्द्रमधु, दृष्टि- अभिसार, त्रेता का वृहत्साम, कामधेनु, मराल, आगम की नाव, वाणी का क्षीरसागर, रामायण महातीर्थम, उत्तर कुरु, चिन्मय भारत, अन्धकार में अग्निशिखा, काव्य- कंथामणि, अन्य पुनर्जागरण का अंतिम शलाका पुरुष : स्वामी सहजानंद सरस्वती।

सम्मान :

भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा मूर्तिदेवी पुरस्कार, 1992; आचार्य रामचन्द्र शुक्ल सम्मान, 1971, अभयानन्द पुरस्कार, 1982; आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, 1987; साहित्य भूषण सम्मान, 1995 से विभूषित ।

निधन: 5 जून 1996

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