पत्रकारिता से जुड़े रहकर भी खुशवंत सिंह ने अंग्रेज़ी में लिखनेवाले एक भारतीय कथाकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। इस संग्रह में उनकी कुछ प्रतिनिधि कहानियाँ शामिल हैं, जिन्हें उनके तीन कहानी-संग्रहों से चुना गया है।
खुशवंत सिंह की कहानियों का संसार न तो सीमित है और न एकायामी, इसलिए ये कहानियाँ अपनी विषय-विविधता के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ध्यान से पढ़ने पर इनकी दुनिया जहाँ हमारी सामाजिक दुनिया की अनेक ख़ासियतें उजागर करती हैं, वहीँ इनमें लेखक का अपना व्यक्तित्व भी प्रतिध्वनित होता है—विचारोत्तेजक और अनुभूतिप्रवण। शैली सहज, सरल और भाषा प्रवाहमयी है। जीवन के विस्तृत अनुभवों में पगी हुई इन कहानियों में अपने देश की मिट्टी की सोंधी गन्ध है।
मानव-जीवन में गहरे जड़ जमाए खोखले आदर्शों और दकियानूसी परम्पराओं पर कुठाराघात करती हुई ये चुटीली कहानियाँ अपने समय की जीवंत प्रतिध्वनियाँ हैं, जो यदि हमें गुदगुदाती हैं तो सोचने-समझने के लिए प्रेरित भी करती हैं। लेकिन साथ ही ये एक ऐसे भारतीय लेखक की कहानियाँ भी हैं, जो अपने मुँहफट स्वभाव और स्वतंत्र विचारों के लिए बहुत बार विवादों के घेरे में रहा है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 1988 |
Edition Year | 2019, Ed. 4th |
Pages | 187p |
Translator | Usha Mahajan |
Editor | Usha Mahajan |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 18.5 X 12.5 X 2 |