Raag-Anurag

Author: Ravishankar
Translator: Ramshankar Dwivedi
Editor: Editor Two
Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Raag-Anurag
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रज़ा फ़ाउण्डेशन ने हिन्दी लेखकों और कलाकारों की सुशोधित विस्तृत जीवनियाँ लिखाने और प्रकाशित कराने का प्रोजेक्ट बनाया है और उस पर काम चल रहा है : कई जीवनियाँ इस क्रम में प्रकाशित हो गयी हैं। भारत के मूर्धन्य कलाकारों में से बहुत कम ने अपनी आत्मकथाएँ लिखी हैं। इनमें चित्रकारसंगीतकाररंगकर्मीनर्तक आदि शामिल हैं। पुस्तकमाला में ऐसी आत्मकथाओं को हम हिन्दी अनुवाद में प्रस्तुत करने का प्रयत्न करते रहे हैं। पण्डित रविशंकर की यह अधूरी आत्मकथाबाङ्ला से अनूदितप्रस्तुत करते हमें प्रसन्‍नता है। एक महान् संगीतकार होने के साथ-साथ उनका बहुत बड़ा योगदान भारतीय शास्‍त्रीय संगीत को विश्व संगीत में मान्यता और उचित स्‍थान दिलाने का बेहद सर्जनात्मक प्रयत्न रहा है।

अशोक वाजपेयी

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 308p
Translator Ramshankar Dwivedi
Editor Editor Two
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Author: Ravishankar

रविशंकर 

विश्व-प्रसिद्ध मूर्धन्य सितार-वादक पण्डित रविशंकर का जन्म अप्रैल, 1920 को बनारस में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता श्याम शंकर चौधरी अँग्रेज़ों के अधीन कार्य करने के बाद एक वकील के तौर पर लंदन में काम करने चले गये थे और युवा रविशंकर का लालन-पालन उनकी माँ ने ही किया।
रविशंकर के बड़े भाई उदय शंकर उस समय के एक प्रसिद्ध नर्तक थे। वे अपने भाई की नृत्य-मण्डली के सदस्य के रूप में शामिल हो गये। उन्होंने दस साल की उम्र से इस नृत्य-मण्डली के साथ अमरीका और यूरोप के कई दौरे किए और एक नर्तक के रूप में कई यादगार प्रदर्शन दिए। फिर अठारह साल की उम्र में नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू किया और उस्ताद (बाबा) अलाउद्दीन ख़ाँ से दीक्षा लेने मैहर गये। 1941 में बाबा की बेटी अन्नपूर्णा से उनका विवाह हुआ।
रविशंकर 1949 से 1956 तक ऑल इण्डिया रेडियोनयी दिल्ली के संगीत निर्देशक रहे। जून 1966 मेंलंदन में एक कार्यक्रम के चलते प्रसिद्ध बैंड बीटल्स के सदस्य जॉर्ज हैरिसन से उनकी मुलाक़ात हुई। हैरिसन रविशंकर से ख़ूब प्रभावित हुए और उनसे मित्रता की। इस मित्रता ने रविशंकर और भारतीय संगीत को पश्चिम में अभूतपूर्व लोकप्रियता दिलाई। हैरिसन ने रविशंकर को द गॉडफादर ऑफ़ वर्ल्ड म्यूज़िक’ के रूप में सम्बोधित किया था।
1986 से 1992 तक रविशंकर राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। उन्हें पाँच बार ग्रैमी पुरस्कार’ से और 1999 में संगीत में विशिष्ट योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
मृत्यु : 11 दिसम्बर, 2012 

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