Purohit

Author: Mayanand Mishra
Edition: 1999, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Purohit

ऐतिहासिक औपन्यासिक कृतियों की शृंखला में ‘प्रथमं शैलपुत्री च’ तथा ‘मंत्रपुत्र’ के बाद ‘पुरोहित’ मायानंद मिश्र का तीसरा उपन्यास है। इस उपन्यास की कथा पूर्व उत्तरवैदिक काल के संधि संक्रमणकालीन ब्राह्मण युग (ई.पू. 1200 ई. से ई.पू. 1000 ई. तक) के भारत की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक जीवन-परम्परा की जटिल गुत्थियों को बहुत ही बारीकी से खोलती और विश्लेषित करती है। इस काल की महत्ता लेखक के शब्दों में : ‘‘वस्तुतः स्वयं भारतवर्ष तथा उसकी ‘आत्मा’ का जन्म इसी ब्राह्मण काल में हुआ है। आज जो भी भारत में है, चाहे वह भौतिकता का विकास हो अथवा आध्यात्मिकता का उत्कर्ष, वह इसी काल की देन है।’’

प्रामाणिक ऐतिहासिक साक्ष्यों को आधार बनाकर उस काल में आर्यावर्त्त के विभिन्न जनपदों में क़ायम शासन प्रणाली और उसकी व्यवस्था में आ रहे परिवर्तन का लेखक ने बड़ा ही जीवन्त चित्रण किया है। इस उपन्यास से उस काल के शिक्षा-कर्म, पौरोहित्य-कर्म, कृषि-कर्म, राज-काज और जीवन-दर्शन का स्वाभाविक परिचय मिलता है। काल-पात्र अनुकूल शब्दावली को काव्यात्मक सरस भाषा में ढालकर रोचक प्रवाह क़ायम रखना मायानंद मिश्र की चिर-परिचित विशेषता है जिस कारण उपन्यास में सर्वत्र ग़ज़ब की पठनीयता बनी रहती है।

मेधा और कुशबिन्दु के सहज स्वाभाविक प्रेम और चुहल के साथ उसकी कर्त्तव्यनिष्ठा और व्यावहारिकता ही नहीं; अथर्वण ऋताश्व, आचार्य गालव, आचार्य श्रुतिभव, आचार्य चाक्रायण आदि की जीवन-साधना और उनके दर्शन से सम्बन्धित विभिन्न प्रसंग उस काल की विभिन्न स्थितियों-परिस्थितियों की सूचना और वैचारिक उत्तेजना देते हैं।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1999
Edition Year 1999, Ed. 1st
Pages 316P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18.5 X 12 X 1.8
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Mayanand Mishra

Author: Mayanand Mishra

मायानन्द मिश्र

आधुनिक मैथिली जगत के रससिद्ध कथाकार। मैथिली और हिन्दी दोनों में समान रूप से लेखन।

‘राजकमल’ से प्रकाशित अपने पहले उपन्यास ‘सोने की नैया माटी के लोग’ के लिए बहुचर्चित।

प्राचीन भारत विषयक कथा-योजना के अन्तर्गत तीन कथाकृतियों—‘प्रथमं शैलपुत्री च’, ‘मंत्रपुत्र’ और ‘पुरोहित’ की रचना।

सम्मान : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित।

सहरसा कॉलेज, सहरसा (बिहार) में मैथिली विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहे।

निधन : 31 अगस्त, 2013

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