Pratinidhi Kavitayen : Shamsher Bahadur Singh

Editor: Namvar Singh
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Pratinidhi Kavitayen : Shamsher Bahadur Singh
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निराला को अपना आदर्श माननेवाले शमशेर बहादुर सिंह हिन्दी में ‘कवियों के कवि' शमशेर सिंह के रूप में विख्यात हैं। इस कृति में उनकी चुनिन्दा कविताओं को संकलित किया गया है।

शमशेर एक ख़ास सोच और तेवरवाले कवि हैं। उनकी कविता शब्दों तक सीमित नहीं होती, बल्कि ऐसे तमाम शब्द हैं—जिन्हें वे बहुत चुनकर, सोच-समझकर अपनी बात के लिए इस्तेमाल करते हैं— काव्यानुभवों की एक व्यापक और जरा जटिल दुनिया भी रचते हैं। अपनी काव्य-वस्तु के चयन और उसके शिल्प-संगठन में वे बेहद सजग हैं। इसके लिए उन्हें विचार से मार्क्सवादी और शिल्प में रूपवादी-जैसे आरोप भी सहने पड़े हैं, जबकि उनकी स्पष्ट राय है कि कला के संघर्ष को सामाजिक संघर्ष से काटकर नहीं देखा जा सकता। वास्तव में उनकी कविता सीधे-सरल तरीक़े से सामाजिक संघर्ष की कविता नहीं है, बल्कि उसे उनकी कविता-भाषा की बहुस्तरीयता को बेधकर ही समझा जा सकता है; और यह संकल्प उनकी कविताओं की तमाम रचनात्मक विशेषताओं को पूरी विविधता के साथ हमारे सामने रखता है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1990
Edition Year 2022, Ed. 11th
Pages 192p
Translator Not Selected
Editor Namvar Singh
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1.5
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Shamsher Bahadur Singh

Author: Shamsher Bahadur Singh

शमशेर बहादुर सिंह

जन्म : 13 जनवरी, 1911; देहरादून (उ.प्र.)।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून में। बाद की शिक्षा गोंडा और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में। 1935-36 में उकील बन्धुओं से कला-प्रशिक्षण लिया।

साहित्यिक कार्यक्षेत्र : ‘रूपाभ’, इलाहाबाद में कार्यालय सहायक (1939); ‘कहानी’ में त्रिलोचन के साथ (1940); ‘नया साहित्य’, बम्बई में कम्यून में रहते हुए (1946); ‘माया’ में सहायक सम्पादक (1948-54); ‘नया पथ’ और ‘मनोहर कहानियाँ’ में सम्पादन-सहयोग। दिल्ली विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक महत्त्वपूर्ण परियोजना ‘उर्दू-हिन्दी कोश’ का सम्पादन (1965-77)। ‘प्रेमचन्द सृजनपीठ’, विक्रम विश्वविद्यालय (मध्य प्रदेश) के अध्यक्ष (1981-85)।

सन् 1978 में सोवियत संघ की यात्रा। विभिन्न भाषाओं में कविताओं के अनुवाद।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘कुछ कविताएँ’ व ‘कुछ और कविताएँ’, ‘चुका भी हूँ नहीं मैं’, ‘इतने पास अपने’, ‘उदिता : अभिव्यक्ति का संघर्ष’, ‘बात बोलेगी’, ‘काल तुझसे होड़ है मेरी’, ‘टूटी हुई बिखरी हुई’, ‘कहीं बहुत दूर से सुन रहा हूँ’ (कविता-संग्रह); ‘कुछ और गद्य रचनाएँ’ (निबन्ध)।

सम्मान : मध्य प्रदेश साहित्य परिषद् का ‘तुलसी पुरस्कार’ (1977); ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ (1977); ‘मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार’; ‘कबीर सम्मान’ (1989)।

निधन : 12 मई, 1993

 

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