Kuchh Kavitayen Va Kuchh Aur Kavitayen

Edition: 2004, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Kuchh Kavitayen Va Kuchh Aur Kavitayen

शमशेर जी का पहला कविता-संग्रह ‘कुछ कविताएँ’ 1959 में आया था और दूसरा ‘कुछ और कविताएँ’ 1961 में—यानी उस समय जब वे पचास वर्ष के थे। और ऐसा भी नहीं था कि उन्होंने कविताएँ तभी लिखना प्रारम्भ किया था—इन दोनों संग्रहों की कविताएँ पिछले बीसेक वर्षों में लिखी गई थीं।

अधिकांश कवि पचास तक पहुँचते-पहुँचते अपने उतार पर होते हैं, लेकिन शमशेर के बारे में यह असंदिग्ध रूप से कहा जा सकता है कि निराला के बाद और ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’ के पहले किसी भी एक कवि के दो ऐसे छोटे-छोटे अत्यन्त संकोची एवं विनम्र, संग्रहों ने हिन्दी कविता और उसकी आलोचना पर इतना गहरा और दूरगामी असर नहीं डाला।

शमशेर के अनेक कट्टर प्रशंसक अब भी यह मानते पाए जा सकते हैं कि उनकी अधिकांश कालजयी कविताएँ इन्हीं में हैं।...इसमें सन्देह नहीं कि ‘कुछ कविताएँ’ तथा ‘कुछ और कविताएँ’ में शमशेरियत के सारे मौलिक रंग मौजूद हैं—स्वस्थ-वयस्क रूमान, सारे सौन्दर्य में ऐसी सूक्ष्म-ऐन्द्रिक दृष्टि जो सिर्फ़ उन्हीं की है, शिल्प के प्रतिबद्ध और नाजुक प्रयोग जिनमें प्रगल्भता और प्रदर्शन का नितान्त अभाव है, ‘उर्दू’ और ‘हिन्दी’ का कारगर मेल, छन्दों, ग़ज़लों और नज़्मों से बेपरहेज़गी, कई सांस्कृतिक परम्पराओं का अपनी रक्त-मज्जा में अहसास, ‘परम्परा’ और ‘आधुनिकता’ का सहज मेल और इस सबके साथ और सबके ऊपर सर्वहारा—भारतीय सर्वहारा—के साथ तादात्म्य।

शमशेर ने छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, भारतीय-अरबी-फ़ारसी, परम्परा, आधुनिकतावाद, सौन्दर्यानुभूति, संगीत, चित्रकला, विश्व-समाज तथा राजनीति और प्रतिबद्धता के सर्वश्रेष्ठ पहलुओं को अपनी अद्वितीय प्रतिभा में ढालकर जो अपना—केवल शमशेर का—काव्य, काव्यशास्त्र और सौन्दर्यशास्त्र गढ़ा है वह ‘कुछ कविताएँ’ तथा ‘कुछ और कविताएँ’ में अपने पूरे टटकेपन और उत्कर्ष के साथ उपस्थित है—मूल्यांकन के सारे ‘शुद्ध’, ‘शाश्वत’, कूढ़मग्ज़ और संकीर्ण सिद्धान्तों को विकलांग बनाता हुआ और एक बिलकुल अलग, पूर्णतर और बलिष्ठ सौन्दर्यशास्त्र तथा समीक्षा की माँग करता हुआ।

 

—विष्णु खरे

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2004, Ed. 1st
Pages 174p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Shamsher Bahadur Singh

Author: Shamsher Bahadur Singh

शमशेर बहादुर सिंह

जन्म : 13 जनवरी, 1911; देहरादून (उ.प्र.)।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून में। बाद की शिक्षा गोंडा और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में। 1935-36 में उकील बन्धुओं से कला-प्रशिक्षण लिया।

साहित्यिक कार्यक्षेत्र : ‘रूपाभ’, इलाहाबाद में कार्यालय सहायक (1939); ‘कहानी’ में त्रिलोचन के साथ (1940); ‘नया साहित्य’, बम्बई में कम्यून में रहते हुए (1946); ‘माया’ में सहायक सम्पादक (1948-54); ‘नया पथ’ और ‘मनोहर कहानियाँ’ में सम्पादन-सहयोग। दिल्ली विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक महत्त्वपूर्ण परियोजना ‘उर्दू-हिन्दी कोश’ का सम्पादन (1965-77)। ‘प्रेमचन्द सृजनपीठ’, विक्रम विश्वविद्यालय (मध्य प्रदेश) के अध्यक्ष (1981-85)।

सन् 1978 में सोवियत संघ की यात्रा। विभिन्न भाषाओं में कविताओं के अनुवाद।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘कुछ कविताएँ’ व ‘कुछ और कविताएँ’, ‘चुका भी हूँ नहीं मैं’, ‘इतने पास अपने’, ‘उदिता : अभिव्यक्ति का संघर्ष’, ‘बात बोलेगी’, ‘काल तुझसे होड़ है मेरी’, ‘टूटी हुई बिखरी हुई’, ‘कहीं बहुत दूर से सुन रहा हूँ’ (कविता-संग्रह); ‘कुछ और गद्य रचनाएँ’ (निबन्ध)।

सम्मान : मध्य प्रदेश साहित्य परिषद् का ‘तुलसी पुरस्कार’ (1977); ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ (1977); ‘मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार’; ‘कबीर सम्मान’ (1989)।

निधन : 12 मई, 1993

 

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