Pratinidhi Kavitayen : Faiz Ahmed 'Faiz'

Edition: 2023, Ed. 15th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Pratinidhi Kavitayen : Faiz Ahmed 'Faiz'
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फूलों की शक्ल और उनकी रंगो-बू से सराबोर शायरी से भी अगर आँच आ रही है तो यह मान लेना चाहिए कि फ़ैज़ वहाँ पूरी तरह मौजूद हैं। फ़ैज़ की शायरी की ख़ास पहचान ही है—रोमानी तेवर में भी ख़ालिस इंक़िलाबी बात। कारण, इनसान और इनसानियत के हक़ में उन्होंने एक मुसलसल लड़ाई लड़ी है और उसे दिल की गहराइयों में डूबकर, यहाँ तक कि ‘ख़ूने-दिल में उँगलियाँ डुबोकर', काग़ज़ पर उतारा है। इसीलिए उनकी नज़्में तरक़्क़ी पसन्द उर्दू शायरी की बेहतरीन नज़्में हैं और नज़्म की सारी ख़ासियतें और भी निखर-सँवरकर उनकी ग़ज़लों में ढल गई हैं। ज़ाहिरा तौर पर इस पुस्तक में फ़ैज़ की ऐसी ही चुनिन्दा नज़्मों और ग़ज़लों को सँजोया गया है। आप पढ़ेंगे तो इनमें आपको दुनिया के हर ग़मशुदा, मगर संघर्षशील आदमी की ऐसी आवाज़ सुनाई देगी जो क़ैदख़ानों की सलाख़ों से भी छन जाती है और फाँसी के फन्दों से भी गूँज उठती है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1984
Edition Year 2023, Ed. 15th
Pages 160p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Faiz Ahmed 'Faiz'

Author: Faiz Ahmed 'Faiz'

फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’

जन्म : 1911, गाँव काला कादर, सियालकोट।

शिक्षा : आरम्भिक धार्मिक शिक्षा मौलवी मुहम्मद इब्राहिम मीर सियालकोटी से प्राप्त की। मैट्रिक स्कॉच मिशन स्कूल और स्नातकोत्तर मुरे कॉलेज, सियालकोट से। वामपंथी विचारधारा के जुझारू पैरोकार फ़ैज़ ने 1936 में ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ की एक शाखा पंजाब में आरम्भ की। 1935 में एम.इ.ओ.कॉलेज, अमृतसर और बाद में हेली कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, लाहौर में अध्यापन। 1938-1942 के दौरान उर्दू मासिक 'अदबे लतीफ़' का सम्पादन। कुछ समय तक फ़ैज़ ब्रिटिश इंडियन आर्मी में भी रहे जहाँ 1944 में उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया था। 1947 में सेना से इस्तीफ़ा देने के बाद 'पाकिस्तान टाइम्स' के पहले प्रधान सम्पादक बने। 1959 से 1962 तक पाकिस्तान आर्ट्स काउंसलिंग के सचिव रहे। 1964 में लन्दन से वापस आने के बाद फ़ैज़ कराची में अब्दुल्लाह हारुन कॉलेज के प्रिंसिपल नियुक्त हुए। 1951 में फ़ैज़ को रावलपिंडी षड्यंत्र केस में चार साल की जेल भी हुई, जहाँ उन्होंने जीवन की कड़वी सच्चाइयों से सीधा साक्षात्कार किया।

प्रमुख रचनाएँ : ‘नक़्शे-फ़रियादी’ (1941), ‘दस्ते-सबा’ (1953), ‘ज़िन्दाँनामा’ (1956), ‘मीज़ान’ (1956), ‘दस्त तहे-संग’ (1965), ‘सरे-वादी-ए-सीना’ (1971), ‘शामे-शह्रे-याराँ’ (1979), ‘मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर’ (1981), ‘सारे सुख़न हमारे’ (फ़ैज़-संग्रह) लंदन से और ‘नुस्ख़हा-ए-वफ़ा’ (फ़ैज़-संग्रह) पाकिस्तान से, 'पाकिस्तानी कल्चर' (उर्दू और अंग्रेज़ी में; 1984)।

फ़ैज़ की रचनाओं का अंग्रेज़ी, रूसी, बलोची, हिन्‍दी सहित दुनिया की अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

पुरस्कार : ‘लेनिन पीस प्राइज़’, ‘द पीस प्राइज़’ (पाकिस्तानी मानवाधिकार सोसायटी), ‘निगार अवार्ड’, ‘द एविसेना अवार्ड’, ‘निशाने-इम्तियाज़’ (मरणोपरान्‍त)। 1984 में मृत्यु से पहले ‘नोबेल प्राइज़’ के लिए नामांकन हुआ था।

निधन : 20 नवम्बर, 1984 को लाहौर में।

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