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Sapnon Ke Dhai Ghar

Author: Rashmi Sharma
Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Sapnon Ke Dhai Ghar

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रश्मि शर्मा का दूसरा कहानी-संग्रह 'सपनों के ढाई घर' इस बात का प्रमाण है कि कथा-लेखन उनके लिए एक गम्भीर एवं जिम्मेदारी भरा सतत कर्म है। जाहिरन, इसका निर्वाह वह अपनी निरन्तर रचनात्मकता और सार्थक हस्तक्षेप से कर रही हैं। इस संग्रह की तमाम कहानियाँ अपने परिवेश के प्रति उनकी सजग संवेदनशीलता और उनमें निहित अदीठ जीवन-सत्यों को खोज निकालने की उनकी दृष्टि एवं कौशल से सम्भव हुई हैं। ये कहानियाँ विषय वैविध्य के कारण जितना पाठकों को समृद्ध करती हैं, उतना ही मनुष्य मन की जटिलताओं में उतरकर उनके अवगुंठनों को खोलते हुए चकित भी करती हैं।

ये कहानियाँ स्त्री जीवन की विडम्बनाओं के उन बन्द कपाटों को खोलने की कोशिश करती हैं, जिनके पीछे उनकी नियति छुपी बैठी है। 'सपनों के ढाई घर' जिस तरह प्रतिरोध रचती है, वह न सिर्फ चकित करता है, बल्कि पाठकीय चेतना पर उसका असर भी देर तक बना रहता है। रश्मि प्रेम, संवेदना और संचेतना के संयोग से कथा-परिदृश्य निर्मित करती हैं, जिसके भीतर स्त्री-जीवन की अनेक छवियाँ मिलती हैं। इनमें अपनी स्मृतियों में जीती कोई नानी है, तो अपनी परम्परागत कला के बूते अपनी पहचान पर गर्व करती आदिवासी समाज की रुदनी भी है। अपने अकेलेपन के बीच अपने जीवन में आए पुरुषों को याद करती श्रेया है, अपने पति के लिए चिन्तित कृतिका है, अपनी पूर्व मालकिन से होड़ लेती सोनी है, अपने जीवन में अप्रत्याशित फैसले लेती पूर्णिमा है। जाहिर तौर पर ये अनेक स्त्रियाँ हैं, लेकिन इन सभी से मिलकर स्त्री-जीवन का वृत्त बनता है।

रश्मि शर्मा ने इसे बड़ी संलग्नता, कौशल और धैर्य से रचा है। इस रचाव में उनका सूक्ष्म ऑब्जर्वेशन और मनुष्य मनोविज्ञान की गहन समझ शामिल है। इन कहानियों का सौन्दर्य किसी कलाबाजी में नहीं, अपने कहन के सौष्ठव में निहित है। ये अपने कथ्य के अनुकूल अपना शिल्प लेकर आती हैं, लिहाजा, इन्हें पढ़ने का आस्वाद भी भिन्न है और इनका प्रभाव भी अभिन्न। यह संग्रह रश्मि शर्मा के कथा-कौशल की एक और बानगी है।

—अवधेश प्रीत 

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 168p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1
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Rashmi Sharma

Author: Rashmi Sharma

रश्मि शर्मा

रश्मि शर्मा का जन्म 2 अप्रैल, 1974 को मेहसी, पूर्वी चम्पारण, बिहार में हुआ। राँची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक तथा इतिहास में स्नातकोत्तर। एक दशक तक सक्रिय पत्रकारिता करने के बाद अब पूर्णकालिक रचनात्मक लेखन एवं स्वतंत्र पत्रकारिता कर रही हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘बन्द कोठरी का दरवाजा’ (कहानी-संग्रह); ‘नदी को सोचने दो’, ‘मन हुआ पलाश’, ‘वक़्त की अलगनी पर’ (कविता-संग्रह); ‘झारखंड से लद्दाख’ (यात्रा-वृत्तान्त); ‘धूप के रंग’ (सम्पादन)। उनकी अनेक कहानियों और कविताओं का अंग्रेजी, उर्दू और मराठी में अनुवाद हुआ है।

उन्हें पत्रकारिता के लिए ‘सी.एस.डी.एस. नेशनल इन्क्लूसिव मीडिया फेलोशिप’ प्राप्त है। वे ‘सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न सम्मान’, ‘शैलप्रिया स्मृति सम्मान’ तथा ‘झारखंड गौरव सम्मान’ से सम्मानित हैं।

ई-मेल : rashmiarashmi@gmail.com

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