Pashchatya Kavyashastra : Nai Pravrittiyan-Hard Cover

Author: Rajnath
Special Price ₹675.75 Regular Price ₹795.00
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ISBN:9788126717255
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9788126717255

हिन्दी आलोचना इस अर्थ में सदैव प्रयोगधर्मी और नवोन्मेषकारी रही है कि उसने पश्चिम में उभरे साहित्य-सिद्धान्तों को भरपूर उत्साह के साथ न सिर्फ़ ग्रहण किया, बल्कि उस पर अपने स्थानीय नज़रिए से चिन्तन-मनन भी किया। इस प्रक्रिया में एक तरफ़ भारतीय साहित्य आलोचना समृद्ध हुई तो साथ ही हमें रचना के सत्य तक पहुँचने के एकाधिक उपकरण भी उपलब्ध हुए।

विद्वान साहित्य-चिन्तक राजनाथ के निबन्धों का यह संकलन मुख्य रूप से बीसवीं सदी के पाश्चात्य समीक्षकों और समीक्षा-आन्दोलनों पर केन्द्रित है। इसमें उन सभी विचारकों के सिद्धान्तों पर विचार किया गया है जिनसे विश्व की आधुनिक समीक्षा का परिदृश्य आकार ग्रहण करता है। इस परिदृश्य में एक तरफ़ अगर टी.एस. इलियट और आई.ए. रिचड् र्स हैं जिन्होंने सदी की समीक्षाधारा को एक नई दिशा दी तो दूसरी ओर विखंडनवाद और उत्तर-औपनिवेशिक समीक्षा-पद्धतियाँ हैं, जो हाल के दशकों में सामने आईं और जिन्होंने विश्व-स्तर पर समीक्षा-विमर्श को व्यापक रूप में प्रभावित किया। साथ ही इसमें रूस, फ़्रांस और जर्मनी जैसे कुछ नए समीक्षा-केन्द्रों से शुरू हुई समीक्षा-प्रवृत्तियों की भी चर्चा की गई है। लेखक के अपने विश्वास और मान्यताएँ इस पुस्तक को एक मौलिक आयाम देते हैं।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में लिखित और व्यापक रूप से चर्चित-प्रशंसित ये लेख साहित्य-चेता विद्वानों, शोधार्थियों और छात्रों के लिए समान रूप से उपयोगी हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 239p
Price ₹795.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Author: Rajnath

राजनाथ

राजनाथ ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अमेरिका के न्यूयार्क विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। लीड्स विश्वविद्यालय से उन्होंने पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। अंग्रेजी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर व अध्यक्ष रहे। समीक्षाशास्त्र पर उनका विशेष अध्ययन है। उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं—‘टी.एस. इलियट’स थ्योरी ऑफ पोयट्री’, ‘क्रिटिकिल स्पेकुलेशन्स’, ‘डिकन्स्ट्रक्शन : ए क्रिटीक’ ‘क्रिटिसिज्म एण्ड कल्चर’, ‘द आइडेंटिटी ऑफ लिट्रेचर’, ‘पोस्टकोलोनियल क्रिटिसिज्म एण्ड थ्योरी : ए क्रिटीक’। अंग्रेजी में उनके अनेक शोध लेख प्रकाशित हो चुके हैं। हिन्दी के अतिरिक्त कन्नड़ में भी उनके लेख अनूदित हुए हैं। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय शोध पत्रिका ‘जर्नल ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज्म’ का लगभग 25 वर्षों तक सम्पादन किया है। उन्हें ब्रिटिश काउंसिल स्कॉलरशिप, सीनियर फुलब्राइट फेलोशिप और अमेरिकन रिसर्च फेलोशिप मिल चुकी हैं।

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