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Pahar Dhalte

Edition: 2024, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Pahar Dhalte

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बीहड़ सर्दियों की एक रात के आहिस्ता-आहिस्ता ढलते पहर। फ़ज़ा को इमरज़ेंसी के नाख़ूनों ने जकड़ रखा है। शहर की आम बस्तियों से दूर एक आलीशान कोठी के अँधेरे-उजाले में हरकत करते कुछ किरदार, लेखन में उन्हें, रात के अँधेरे में, एक शातिर जासूस की महारत के साथ, ऐसे पकड़ा गया है कि वे कभी यथार्थ लगते हैं कभी फ़ैन्टेसी। इन्हें देखकर सहसा मुक्तिबोध की लम्बी कविता ‘अँधेरे में’ के चरित्र याद आते हैं। इन चरित्रों में नवाब, बेगम, अफ़सर, मंत्री, व्यापारी, क़व्वाल, औरतें, ख़ादिम, शोहदे, सब हैं। अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियों से बच निकलने का पार्ट अदा करते हुए। इस भुतहा नाटक में पाखंड, गुरूर, नफ़रत, ईर्ष्या, सूफ़ियाना क़लाम, इश्क, पछतावा, आँसू, फ़रेब, मक्कारी सभी के रक़्स हैं। रात के एक हिस्से की कहानी के बाहर जाने कितनी और रातें और दिन हैं जहाँ लेखक हमें ले जाता है, और फिर वापस ले आता है, वर्तमान में सक्रिय भूतों की बारात के बीचोबीच।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2007
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 116p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Manzoor Ehtesham

Author: Manzoor Ehtesham

मंज़ूर एहतेशाम

जन्म : 3 अप्रैल, 1948 को भोपाल में।

शिक्षा : स्नातक।

इंजीनियरिंग की अधूरी शिक्षा के बाद दवाएँ बेचीं। पिछले 25 वर्ष से फ़र्नीचर और इंटीरियर डेकोर का अपना व्यवसाय।

प्रकाशित कृतियाँ : पहली कहानी ‘रमज़ान में मौत’ 1973 में और पहला उपन्यास ‘कुछ दिन और’ 1976 में प्रकाशित। उपन्यास—‘सूखा बरगद’, ‘दास्तान-ए-लापता’, ‘पहर ढलते’, ‘बशारत मंज़िल’; कहानी-संग्रह—‘तसबीह’, ‘तमाशा तथा अन्य कहानियाँ’; नाटक—‘एक था बादशाह’ (सह-लेखक सत्येन कुमार)।

सम्मान : ‘सूखा बरगद’ (उपन्यास) पर ‘श्रीकान्त वर्मा स्मृति सम्मान’ और भारतीय भाषा परिषद, कलकत्ता का पुरस्कार; दास्तान-ए-लापता पर ‘वीरसिंह देव पुरस्कार’ 2018 में इसका अनुवाद नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी प्रेस से छपा, जिसे ‘न्यूयॉर्क मैगज़ीन’ द्वारा अंग्रेज़ी में उपलब्ध अब तक का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कहा गया। ‘तसबीह’ (कथा-संग्रह) पर ‘वागीश्वरी पुरस्कार’ तथा 1995 में समग्र लेखन पर ‘पहल सम्मान’। 2003 में राष्ट्रीय सम्मान ‘पद्मश्री’ से अलंकृत। निराला सृजनपीठ (भोपाल) के अध्यक्ष भी रहे।

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