Tamasha Tatha Anya Kahaniyan

Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹505.75 Regular Price ₹595.00
15% Off
In stock
SKU
Tamasha Tatha Anya Kahaniyan
- +
Share:

पिछले दो दशकों में ‘सूखा बरगद’ और ‘दास्तान-ए-लापता’ जैसे श्रेष्ठ उपन्यासों के लिए चर्चित मंज़ूर एहतेशाम ने एक महत्त्वपूर्ण कथाकार के रूप में भी अलग पहचान अर्जित की है यह कहना कि उनकी कहानियाँ मध्यवर्गीय (मुस्लिम) वर्ग के बारे में हैं, उनके कथानक का अति-सरलीकरण होगा दरअसल मंज़ूर एहतेशाम उन थोड़े-से कथाकारों में हैं, जिन्होंने इधर की साहित्यिक बहसों के बुनियादी मुद्दे ही बदल दिए हैं

प्रस्तुत कहानी-संग्रह ‘तमाशा तथा अन्य कहानियाँ’ में शामिल कहानियाँ, विषयों की नहीं, एक व्यक्ति के होने-न-होने की कहानियाँ हैं अक्सर इनके केन्द्र में एक संस्कारवान, संवेदनशील व्यक्ति है और उसे बनाता-ढहाता एक परिवेश कुछ इस तरह कि कभी काँच के हाथ में पत्थर और कभी पत्थर के हाथ में काँच होने का अहसास बराबर बना रहता है

मध्यवर्गीय अस्तित्व की विडम्बना की ये कहानियाँ कभी शोर और कभी सन्नाटे से स्वयं को बुनती-उधेड़ती हैं यूँ इनका कथानक बहुत बारीक़ी से अपना उपकथन, अपना सब-टेक्स्ट बनाता-मिटाता चलता है अपने अल्पकथन के बावजूद ये आश्चर्यजनक रूप से मार्मिक कथाएँ हैं यहाँ प्रस्तुत बहुचर्चित ‘रमजान में मौत’ से लेकर ‘तमाशा’ तक ये कहानियाँ अपनी यात्रा भी हैं, और पड़ाव भी

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2001
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 148p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Tamasha Tatha Anya Kahaniyan
Your Rating
Manzoor Ehtesham

Author: Manzoor Ehtesham

मंज़ूर एहतेशाम

जन्म : 3 अप्रैल, 1948 को भोपाल में।

शिक्षा : स्नातक।

इंजीनियरिंग की अधूरी शिक्षा के बाद दवाएँ बेचीं। पिछले 25 वर्ष से फ़र्नीचर और इंटीरियर डेकोर का अपना व्यवसाय।

प्रकाशित कृतियाँ : पहली कहानी ‘रमज़ान में मौत’ 1973 में और पहला उपन्यास ‘कुछ दिन और’ 1976 में प्रकाशित। उपन्यास—‘सूखा बरगद’, ‘दास्तान-ए-लापता’, ‘पहर ढलते’, ‘बशारत मंज़िल’; कहानी-संग्रह—‘तसबीह’, ‘तमाशा तथा अन्य कहानियाँ’; नाटक—‘एक था बादशाह’ (सह-लेखक सत्येन कुमार)।

सम्मान : ‘सूखा बरगद’ (उपन्यास) पर ‘श्रीकान्त वर्मा स्मृति सम्मान’ और भारतीय भाषा परिषद, कलकत्ता का पुरस्कार; दास्तान-ए-लापता पर ‘वीरसिंह देव पुरस्कार’ 2018 में इसका अनुवाद नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी प्रेस से छपा, जिसे ‘न्यूयॉर्क मैगज़ीन’ द्वारा अंग्रेज़ी में उपलब्ध अब तक का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कहा गया। ‘तसबीह’ (कथा-संग्रह) पर ‘वागीश्वरी पुरस्कार’ तथा 1995 में समग्र लेखन पर ‘पहल सम्मान’। 2003 में राष्ट्रीय सम्मान ‘पद्मश्री’ से अलंकृत। निराला सृजनपीठ (भोपाल) के अध्यक्ष भी रहे।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top