Sampurna Kahaniyan : Manzoor Ehtesham

Edition: 2019, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹671.25 Regular Price ₹895.00
25% Off
In stock
SKU
Sampurna Kahaniyan : Manzoor Ehtesham
- +
Share:

मंज़ूर एहतेशाम हमारे समय के अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं। उनकी रचनाएँ किसी चमत्कार के लिए व्यग्र नहीं दिखतीं, बल्कि वे अनेक अन्तर्विरोधों और त्रासदियों के बावजूद ‘चमत्कार की तरह बचे जीवन’ का आख्यान रचती हैं। इस संग्रह में उनकी सभी कहानियाँ शामिल हैं। सम्पूर्णता में पढ़ने पर यह स्पष्ट होता है कि मंज़ूर एहतेशाम मध्यवर्गीय भारतीय समाज के द्वन्द्वात्मक यथार्थ को उल्लेखनीय शिल्प में अभिव्यक्त करते हैं। ‘तमाशा’ कहानी का प्रारम्भ है, ‘याद करता हूँ तो कोई किस्सा-कहानी लगता है : ख़ुद से बहुत दूर और अविश्वसनीय-सा। यह कमाल वक़्त के पास है कि असलियत को क़िस्से-कहानी में तब्दील कर दे।’ किसी भी श्रेष्ठ रचनाकार की तरह यह कमाल मंज़ूर एहतेशाम के पास भी है कि वे परिचित यथार्थ के अदेखे कोनों-अँतरों को अपनी रचनाशीलता से अद्भुत कहानी में बदल देते हैं। स्थानीयता इन कहानियों का स्वभाव और व्यापक मनुष्यता इनका प्रभाव। अपनी बहुतेरी चिन्ता और चेतना के साथ मध्यवर्गीय मुस्लिम समाज मंज़ूर एहतेशाम की कहानियों में प्रामाणिकता के साथ प्रकट होता रहा है। कुछ इस भाँति कि इनसे विमर्श के जाने कितने सूत्र सामने आते हैं। ये कहानियाँ ‘समूची सामाजिकता’ का मार्ग प्रशस्त करती हैं। इन रचनाओं में शैली के रेखांकित करने योग्य प्रयोग हैं, फिर भी लक्ष्य है अनकहे सच की अधिकतम अभिव्यक्ति। सहजता इनकी सहजात विशेषता है। मंज़ूर एहतेशाम का कहानी-समग्र ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ समय और समाज की आन्तरिकता को समेकित रूप से हमारे लिए चमकदार बनाता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2019, Ed. 2nd
Pages 331p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Sampurna Kahaniyan : Manzoor Ehtesham
Your Rating
Manzoor Ehtesham

Author: Manzoor Ehtesham

मंज़ूर एहतेशाम

जन्म : 3 अप्रैल, 1948 को भोपाल में।

शिक्षा : स्नातक।

इंजीनियरिंग की अधूरी शिक्षा के बाद दवाएँ बेचीं। पिछले 25 वर्ष से फ़र्नीचर और इंटीरियर डेकोर का अपना व्यवसाय।

प्रकाशित कृतियाँ : पहली कहानी ‘रमज़ान में मौत’ 1973 में और पहला उपन्यास ‘कुछ दिन और’ 1976 में प्रकाशित। उपन्यास—‘सूखा बरगद’, ‘दास्तान-ए-लापता’, ‘पहर ढलते’, ‘बशारत मंज़िल’; कहानी-संग्रह—‘तसबीह’, ‘तमाशा तथा अन्य कहानियाँ’; नाटक—‘एक था बादशाह’ (सह-लेखक सत्येन कुमार)।

सम्मान : ‘सूखा बरगद’ (उपन्यास) पर ‘श्रीकान्त वर्मा स्मृति सम्मान’ और भारतीय भाषा परिषद, कलकत्ता का पुरस्कार; दास्तान-ए-लापता पर ‘वीरसिंह देव पुरस्कार’ 2018 में इसका अनुवाद नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी प्रेस से छपा, जिसे ‘न्यूयॉर्क मैगज़ीन’ द्वारा अंग्रेज़ी में उपलब्ध अब तक का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कहा गया। ‘तसबीह’ (कथा-संग्रह) पर ‘वागीश्वरी पुरस्कार’ तथा 1995 में समग्र लेखन पर ‘पहल सम्मान’। 2003 में राष्ट्रीय सम्मान ‘पद्मश्री’ से अलंकृत। निराला सृजनपीठ (भोपाल) के अध्यक्ष भी रहे।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top