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Pachis Global Brand-Paper Back

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9788126730001
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ब्रांड यानी उत्पाद विशेष का नाम...एक ट्रेडमार्क।

वेबस्टर्स शब्दावली के अनुसार ब्रांड यानी... A mark burned on the skin with hot iron.

हिन्दी में इसका भावार्थ है : व्यक्ति के शरीर पर उसकी पहचान दाग देना।

यही इस पुस्तक का सार है।

ब्रांड किसी उत्पाद का केवल नाम ही नहीं होता। उसके उत्पाद का पेटेंटेड ट्रेडमार्क भी नहीं होता। ग्राहक जब ब्रांडेड उत्पाद खरीदता है तो वह इस विश्वास का मूल्य भी चुकाता है कि उत्पाद गुणवत्तायुक्त होगा, झंझटमुक्त लम्बी सेवा प्रदान करेगा और उसे वादे के अनुसार बिक्री बाद सेवा मिलेगी। दूसरे शब्दों में, ब्रांडेड उत्पादों के निर्माता केवल वस्तु का मूल्य प्राप्त नहीं करते। वे एक भरोसे, एक विश्वास की क़ीमत भी वसूल करते हैं। वही ब्रांड लम्बी पारी खेलते हैं, जो अपने पर ‘दाग' दी गई ‘पहचान' को एक बार नहीं, बार-बार भी नहीं, बल्कि हर बार सही साबित करते हैं। ऐसे ही शतकीय पारी के बाद ग्लोबल मार्किट में आज भी अव्वल 25 ग्लोबल ब्रांड का इतिहास इस पुस्तक में सँजोया गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 169p
Price ₹195.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Prakash Biyani

Author: Prakash Biyani

प्रकाश बियाणी

किशोरावस्था से सतत लेखन कर रहे प्रकाश बियाणी मूलत: बैंकर हैं। भारतीय स्टेट बैंक में 25 साल (1968-1995) नौकरी करने के बाद वे आठ साल देश के अग्रणी समाचार-पत्र समूह ‘दैनिक भास्कर’ में कॉरपोरेट सम्पादक रहे हैं। देश के औद्योगिक परिदृश्य व उद्योगपतियों पर उनके दो हज़ार से ज़्यादा लेख/साक्षात्कार/समीक्षाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। इस दौरान उन्हें देश के कई अग्रणी उद्योगपतियों से प्रत्यक्ष मुलाक़ात का सुअवसर भी मिला है एवं राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय बिजनेस मीट/इवेंट्स में शिरकत करने का मौक़ा भी। इन दिनों वे कॉरपोरेट जगत व कम्पनी मामलों में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। आपकी पुस्तक 'शून्य से शिखर’ (35 भारतीय उद्योगपतियों की यशोगाथा) को पाठकों ख़ासकर बिजनेस स्कूल के छात्रों ने ख़ूब सराहा है। अपने क़िस्म की इस अनूठी पुस्तक का द्वितीय संशोधित संस्करण एवं पेपरबैक संस्करण भी एक साल में मार्केट में लांच हो चुके हैं। इसके अलावा ‘25 ग्लोबल बांड : सौ साल बाद भी शिखर पर’ और ‘जी, वित्तमंत्री जी’ इनकी प्रमुख पुस्तकें हैं।

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