देश की अर्थव्यवस्था को लाइसेंसी राज की बेड़ियों से मुक्त कराकर आर्थिक स्वतंत्रता के वैश्विक रास्ते पर ले जानेवाले अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं—‘दुनिया में लोग चीन की तरक़्क़ी से आशंकित होते हैं, लेकिन इसके विपरीत भारत की आर्थिक तरक़्क़ी को सकारात्मक नज़रिए से देखते हैं...’
व्हार्टन स्कूल ऑफ़ द यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया के प्रोफ़ेसरों के अध्ययन का निष्कर्ष है—‘वैश्विक आर्थिक मन्दी के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने बेहतर प्रदर्शन किया, क्योंकि भारतीय उद्योगपतियों के कामकाज का अपना तौर-तरीक़ा है...।
कभी विदेशी उद्योगपति हमारी कम्पनियाँ ख़रीदते थे, आज भारतीय ‘कॉरपोरेट-हाट’ के बड़े सौदागर हैं। यहाँ तक कि कभी भारत पर राज करनेवाली ईस्ट इंडिया कम्पनी के नए मालिक हैं—मुम्बई में जन्में उद्योगपति संजीव मेहता...।
ऐसी सकारात्मक सच्चाइयों से प्रेरित इस पुस्तक ‘शून्य से शिखर’ में इंडियन कॉरपोरेट्स’ में 35 भारतीय उद्योगपतियों की यशोगाथा दोहराई गई है, जो साबित करती है कि भारतीय ठान लें तो कुछ भी कर सकते हैं, वह भी दूसरों से बेहतर।
Language | Hindi |
---|---|
Format | Paper Back |
Edition Year | 2016 Ed. 10th |
Pages | 356p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here