Local se Global

Author: Prakash Biyani
You Save 10%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Local se Global

हाँ, हम तैयार हैं...

—देश की अर्थव्यवस्था को लाइसेंसी राज की बेड़ियों से मुक्त कराकर आर्थिक स्वतंत्रता के वैश्विक रास्ते पर ले जानेवाले अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं—‘दुनिया में लोग चीन की तरक़्क़ी से आशंकित होते हैं, लेकिन इसके विपरीत भारत की आर्थिक तरक़्क़ी को सकारात्मक नज़रिये से देखते हैं...’

—व्हार्टन स्कूल ऑफ़ द यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया के चार प्रोफ़ेसरों के अध्ययन का निष्कर्ष है—‘वैश्विक आर्थिक मन्दी के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने बेहतर प्रदर्शन किया क्योंकि वहाँ के उद्योगपतियों के कामकाज का अपना तौर-तरीक़ा है...’

—भारतीय अर्थव्यवस्था सन् 2020 में तीन ट्रिलियन डॉलर होगी...

—कभी विदेशी उद्योगपति हमारी कम्पनियाँ ख़रीदते थे, आज भारतीय ‘कॉरपोरेट-हाट’ के बड़े सौदागर हैं। यहाँ तक कि कभी भारत पर राज करनेवाली ईस्ट इंडिया कम्पनी के नए मालिक हैं—मम्बई में जन्मे उद्योगपति संजीव मेहता...

ऐसी सकारात्मक सच्चाइयों से प्रेरित इस पुस्तक ‘लोकल से ग्लोबल : इंडियन कॉरपोरेट्स’ में उदारीकरण के दूसरे दशक (2001-2010) में भारतीय उद्योग जगत की ֹ‘लोकल से ग्लोबल’ बनने की सफल कोशिश दोहराई गई है। यह पुस्तक उन पचास भारतीयों की यशोगाथा है, जिन्होंने साबित किया है कि भारतीय ठान लें तो कुछ भी कर सकते हैं, वह भी दूसरों से बेहतर।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Edition Year 2010
Pages 503p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Local se Global
Your Rating
Prakash Biyani

Author: Prakash Biyani

प्रकाश बियाणी

किशोरावस्था से सतत लेखन कर रहे प्रकाश बियाणी मूलत: बैंकर हैं। भारतीय स्टेट बैंक में 25 साल (1968-1995) नौकरी करने के बाद वे आठ साल देश के अग्रणी समाचार-पत्र समूह ‘दैनिक भास्कर’ में कॉरपोरेट सम्पादक रहे हैं। देश के औद्योगिक परिदृश्य व उद्योगपतियों पर उनके दो हज़ार से ज़्यादा लेख/साक्षात्कार/समीक्षाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। इस दौरान उन्हें देश के कई अग्रणी उद्योगपतियों से प्रत्यक्ष मुलाक़ात का सुअवसर भी मिला है एवं राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय बिजनेस मीट/इवेंट्स में शिरकत करने का मौक़ा भी। इन दिनों वे कॉरपोरेट जगत व कम्पनी मामलों में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। आपकी पुस्तक 'शून्य से शिखर’ (35 भारतीय उद्योगपतियों की यशोगाथा) को पाठकों ख़ासकर बिजनेस स्कूल के छात्रों ने ख़ूब सराहा है। अपने क़िस्म की इस अनूठी पुस्तक का द्वितीय संशोधित संस्करण एवं पेपरबैक संस्करण भी एक साल में मार्केट में लांच हो चुके हैं। इसके अलावा ‘25 ग्लोबल बांड : सौ साल बाद भी शिखर पर’ और ‘जी, वित्तमंत्री जी’ इनकी प्रमुख पुस्तकें हैं।

Read More
Books by this Author
Back to Top