Facebook Pixel

Neetidarshan : Ek Niyamak Adhyayan-Paper Back

Special Price ₹225.00 Regular Price ₹250.00
10% Off
In stock
SKU
9789389742671
- +
Share:
Codicon

इस पुस्तक में नीतिदर्शन के पारम्परिक नियामक अध्ययन (Normative Study) का प्रस्तुतीकरण है। पुस्तक को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है। प्रथम भाग नीतिदर्शन/नीतिशास्त्र की परिभाषा, स्वरूप, विषय-क्षेत्र व सुनिश्चित विषयवस्तु से सम्बन्धित है। इसी भाग में विभिन्न नैतिक सिद्धान्तों के वर्गीकरण को सुव्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है जिसके फलस्वरूप दो तरह के वर्ग सामने आते हैं : (1) परिणाम-निरपेक्षतावाद या शुद्ध कर्त्तव्यवाद (Deontological Theories) और (2) परिणाम-सापेक्षतावाद या फलवाद (Teleological Theories or Consequentialism)। पुस्तक के दूसरे भाग में परिणाम-निरपेक्षतावाद या शुद्ध कर्त्तव्यवाद के वर्ग में आने वाले विभिन्न सिद्धान्तों को विश्लेषित किया गया है जिसमें नैतिकता-निर्धारण हेतु कुछ बाह्य नियमों, यथा दैवी व सामाजिक नियमों, से सम्बन्धित तथा कुछ आन्तरिक नियमों सम्बन्धी सिद्धान्त, जैसे अन्तःप्रज्ञावाद व बुद्धिवाद शामिल हैं। पुस्तक के तीसरे भाग की विषयवस्तु परिणाम-सापेक्षतावाद या फलवाद है। इस भाग में सुखवाद व उसके विभिन्न प्रकारों, शक्ति के सिद्धान्त तथा पूर्णतावाद का विशद विश्लेषण है। पुस्तक में एक परिशिष्ट भी जोड़ा गया है जिसमें नीतिदर्शन सम्बन्धी एक अत्याधुनिक सिद्धान्त 'सद्गुण नीति' (Virtue Ethics) की संक्षिप्त चर्चा है, जो प्रथम भाग में वर्णित 'अधिनीतिशास्त्र' (Meta Ethics) के साथ मिलकर सम्भवतः इस पुस्तक की सामग्री को अधिक व्यापक बनाती है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 246P
Price ₹250.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Neetidarshan : Ek Niyamak Adhyayan-Paper Back
Your Rating

Author: Shyam Kishor Seth

श्याम किशोर सेठ


जन्म-स्थान : मिर्जापुर। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए, और एम.ए. की डिग्री प्राप्त करके सन् 1954 में यहीं पर दर्शन विभाग में प्रवक्ता नियुक्त हुए। 35 वर्ष से अधिक अध्यापन कार्य के बाद सन् 1990 में सेवानिवृत्त हुए। तर्कशास्‍त्र, ज्ञानमीमांसा, नीतिशास्त्र तथा धर्मदर्शन इनकी अभिरुचि के विशेष क्षेत्र रहे हैं। इनके निर्देशन में कई विद्यार्थी डी.फिल. की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं और कुछ अभी शोधकार्य में संलग्न हैं।
'विभिन्न दर्शनिक समस्याओं पर श्री सेठ ने अनेक लेख लिखे हैं जो हिन्‍दी व अंग्रेज़ी की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। आकाशवाणी से भी दर्शन सम्बन्धी इनकी कुछ वार्ताएँ प्रसारित हुईं। आपने डॉ. नीलिमा मिश्र के साथ 'ज्ञान-दर्शन 'Philosophy of Knowledge', 'तर्कशास्‍त्र—एक आधुनिक परिचय’ एवं ‘ईश्वर, स्वतंत्रता और अमरत्व : एक तत्‍त्‍वदार्शनिक अध्ययन' नामक तीन पुस्तकों का लेखन भी किया है।
श्री सेठ 'इंडियन फ़‍िलॉसॉफ़‍िकल कांग्रेस और 'अखिल भारतीय दर्शन परिषद' के आजीवन सदस्य हैं और वे 1999 में 'उत्तर भारत दर्शन परिषद' के गोरखपुर अधिवेशन के अध्यक्ष थे।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top