Naya Sahitya : Naya Sahityashashtra-Hard Cover

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ISBN:9788126714636
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‘नया साहित्य : नया साहित्यशास्त्र’ प्रख्यात साहित्यकार, समीक्षक तथा संस्कृत के विद्वान राधावल्लभ त्रिपाठी की काव्यशास्त्र पर तीसरी पुस्तक है। यह संस्कृत काव्यशास्त्र के अलंकार प्रस्थान की व्यापक वैचारिक और संरचनात्मक आधारभूमि को रेखांकित करती है। अलंकार की व्यावहारिक परिणतियों और अलंकार विमर्श की व्यापक अर्थवत्ता को आज के साहित्य के सन्दर्भ में यहाँ परखा गया है। अलंकार तत्त्व की इसमें प्रस्तुत नई व्याख्या उसकी अछूती सम्भावनाएँ खोलती है तथा साहित्य के अध्ययन के लिए संरचनावादी काव्यशास्त्र की एक भूमिका निर्मित करती है। संस्कृत के प्रख्यात कवियों के साथ हिन्दी कवियों में निराला और मुक्तिबोध तथा बोरिस पास्तरनाक जैसे रूसी रचनाकारों और मिलान कुन्देरा जैसे उत्तर-आधुनिक युग के लेखकों तक की मीमांसा लेखक ने निर्भीकता के साथ यहाँ की है।

लेखक का मानना है कि पश्चिम में सस्यूर, सूसन लैंगर, चॉम्स्की आदि के प्रतिपादन तथा उत्तर-आधुनिकतावाद के सन्दर्भ में भारतीय काव्य-चिन्तन के अलंकार तत्त्व की महती पीठिका पुनः उजागर करना ज़रूरी है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2019, Ed. 2nd
Pages 143p
Price ₹395.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Radhavallabh Tripathi

Author: Radhavallabh Tripathi

राधावल्लभ त्रिपाठी

जन्म : 15 फरवरी, 1949; मध्य प्रदेश के राजगढ़ ज़िले में। शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी., डी.लिट्.। सन् 1970 से विश्वविद्यालयों में अध्यापन। शिल्पाकार्न विश्वविद्यालय, बैंकॉक; कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क में संस्कृत के अतिथि आचार्य। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में पाँच वर्ष कुलपति (2008-13)। शिमला स्थित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में फैलो। जर्मनी, इंग्लैंड, जापान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रिया, हालैंड, बांग्लादेश, रूस, थाइलैंड आदि देशों की यात्राएँ। प्रकाशन : ‘आदिकवि वाल्मीकि’, ‘संस्कृत कविता की लोकधर्मी परम्परा’, ‘संस्कृत काव्यशास्त्र और काव्य-परम्परा’, ‘नाट्यशास्त्र विश्वकोश’, ‘बहस में स्त्री’, ‘नया साहित्य : नया साहित्यशास्त्र’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र की आचार्य-परम्परा’ आदि समीक्षात्मक पुस्तकों सहित हिन्दी में दो उपन्यास और तीन कहानी-संग्रह व अनेक नाटक प्रकाशित; संस्कृत में तीन मौलिक उपन्यास, दो कहानी-संग्रह, तीन पूर्णाकार नाटक तथा एक एकांकी-संग्रह प्रकाशित। ‘सागरिका’, ‘नाट्यम्’ आदि पत्रिकाओं का सम्पादन। पुरस्कार : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘शंकर पुरस्कार’, कनाडा का ‘रामकृष्ण संस्कृति सम्मान’, यू.जी.सी. का ‘वेदव्यास सम्मान’, महाराष्ट्र शासन का ‘जीवनव्रती संस्कृत सम्मान’ आदि।

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