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Mukhauta-Hard Cover

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9788180310072
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ममता कालिया की नवीनतम और चर्चित कहानियों का संकलन है ‘मुखौटा’। इन कहानियों में रचनाकार ने अपने समय और समाज को परिभाषित करने का भरपूर सृजनात्मक जोखिम उठाया है। संग्रह की हर कहानी में ममता कालिया की प्रयोगधर्मिता और संघर्ष चेतना बोलती है। शीर्षक कहानी ‘मुखौटा’ में छात्र वर्ग में आरक्षण जैसे मुद्दे का यथार्थ तथा ‘रोशनी की मार’ में दलित चेतना का उभार अपने पूरे तेवर के साथ मौजूद है।

लेखिका कभी समाज के पूरे परिवेश में समकालीन सरोकार ढूँढ़ती है तो कभी नई स्वातंत्र्योत्‍तर नारी को उसके पूरे वैभव और संघर्ष में चित्रित करती है। इन कहानियों में अनुभव और अनुभूति की दीप्ति, दृष्टिकोण के खुलेपन के साथ मिलकर हिन्दी कहानी के उस स्वरूप को परिभाषित करती है जिसकी पाठक को हरदम तलाश रहती है। समकालीन कथा लेखन में इस प्रकार के सहज, मेधावी, संवेदनशील और प्रफुल्ल व्यक्तित्व दुर्लभ हैं जो व्यापक समाज के प्रति इतनी बेबाक अभिव्यक्ति कर सकें। सम्बन्धों का खुला स्वीकार और चुनौतियों से साक्षात्कार इस सभी कहानियों का प्रमुख स्वर है। इनमें चालू मुहावरे वाला कटखना नारीवाद नहीं वरन् समग्र जीवन और परिवेश के प्रति सजग, सचेत, प्रतिबद्धता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Isbn 10 8180310078
Publication Year 2003
Edition Year 2005, Ed. 2nd
Pages 119p
Price ₹120.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Mamta Kaliya

Author: Mamta Kaliya

ममता कालिया

ममता कालिया का जन्म 2 नवम्बर, 1940 को वृन्दावन में हुआ। आपकी शिक्षा दिल्ली, मुम्बई, पुणे, नागपुर और इन्दौर शहरों में हुई। आप कहानी, नाटक, उपन्यास, निबन्ध, कविता और पत्रकारिता अर्थात् साहित्य की लगभग सभी विधाओं में हस्तक्षेप रखती हैं। हिन्दी कथा साहित्य के परिदृश्य पर आपकी उपस्थिति सातवें दशक से निरन्तर बनी हुई है। आप महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की त्रैमासिक अंग्रेज़ी पत्रिका ‘HINDI’ की सम्पादक भी रह चुकी हैं।

आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं : ‘बेघर’, ‘नरक-दर-नरक’, ‘दौड़’, ‘दुक्खम सुक्खम’, ‘सपनों की होम डिलिवरी’, ‘कल्‍चर-वल्चर’ (उपन्यास); ‘छुटकारा’, ‘उसका यौवन’, ‘मुखौटा’, ‘जाँच अभी जारी है’, ‘सीट नम्बर छह’, ‘निर्मोही’, ‘प्रतिदिन’, ‘थोड़ा-सा प्रगतिशील’, ‘एक अदद औरत’, ‘बोलनेवाली औरत’, ‘पच्‍चीस साल की लड़की’, ‘ख़ुशक़िस्‍मत’, दो खंडों में अब तक की सम्पूर्ण कहानियाँ ‘ममता कालिया की कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह);
‘A Tribute to Papa and other Poems’, ‘Poems ’78’, ‘खाँटी घरेलू औरत’, ‘कितने प्रश्न करूँ’, ‘पचास कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘आप न बदलेंगे’ (एकांकी-संग्रह); ‘कल परसों के बरसों’, ‘सफ़र में हमसफ़र’, ‘कितने शहरों में कितनी बार’, ‘अन्‍दाज़-ए-बयाँ उर्फ़ रवि कथा’ (संस्‍मरण); ‘भविष्‍य का स्‍त्री-विमर्श’, ‘स्‍त्री-विमर्श का यथार्थ’, ‘स्‍त्री-विमर्श के तेवर’ (स्त्री-विमर्श); ‘महिला लेखन के सौ वर्ष’ (सम्‍पादन)।

आप ‘व्यास सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘यशपाल स्मृति सम्मान’, ‘महादेवी स्मृति पुरस्कार’, ‘राममनोहर लोहिया सम्मान’, ‘कमलेश्वर स्मृति सम्मान’, ‘सावित्री बाई फुले स्मृति सम्मान’, ‘अमृत सम्मान’, ‘लमही सम्मान’, ‘सीता पुरस्कार’ ढींगरा फैमिली फ़ाउंडेशन, अमेरिका का ‘लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’, ‘ओ.पी. मालवीय स्मृति सम्मान’ से सम्मानित की जा चुकी हैं।

ई-मेल : mamtakalia011@gmail.com

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