Motapa : Ghatak Rogon Ki Jad

Health & Fitness
You Save 20%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Motapa : Ghatak Rogon Ki Jad

शरीर की आवश्यकता से अधिक कैलोरी वाला या अधिक चर्बीयुक्त भोजन वज़न बढ़ाने में सहायक होता है। यहाँ तक कि केवल 20 ग्राम वाला एक ब्रेड का टुकड़ा यदि अतिरिक्त मात्रा में रोज़ खाया जाए तो वह वज़न बढ़ा सकता है। इसी तरह 20 मिनट पैदल चलनेवाला व्यक्ति कार से जाने लगे या पैदल चलना छोड़ दे तो भी उसका वज़न बढ़ सकता है। दस वर्षों के दौरान ली गई अतिरिक्त 48 किलो कैलोरी से 20 किलो चर्बी शरीर में जमा हो सकती है। बच्चों में चाकलेट और फास्ट-फूड खाने की आदतें भी वज़न बढ़ाने में सहायक होती हैं। आए दिन होनेवाली पार्टियों में जानेवाले लोग अकसर ज़रूरत से ज़्यादा खा जाते हैं, यह अधिक खाना उनका वज़न बढ़ाने में सहायक होता है। कुछ लोग तनाव या समस्याओं के कारण भी ज़्यादा खा जाते हैं। इसी तरह कई लोग अच्छे स्वाद के कारण भी अधिक भोजन करते हैं। कई लोगों में एक ग़लत धारणा प्रचलित है कि स्वस्थ रहने के लिए ख़ूब खाना चाहिए और फिर ख़ूब खानेवाली धारणा उन्हें मोटा बना देती है।

—इसी पुस्तक से

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 70p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 0.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Motapa : Ghatak Rogon Ki Jad
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Premchandra Swarnkar

Author: Premchandra Swarnkar

प्रेमचन्द्र स्वर्णकार

शिक्षा : बी.एससी., एम.बी.बी.एस., एम.डी. (पैथोलॉजी)।

प्रथम श्रेणी चिकित्सा-विशेषज्ञ (पैथोलॉजी), ‘हेल्थ एंड न्यूट्रिशन’ पत्रिका, मुम्बई के पूर्व विशेषज्ञ सलाहकार। विगत चार दशक से मानव-स्वास्थ्य एवं चिकित्सा-विज्ञान सम्बन्धी सैकड़ों लेख देश की प्रमुख स्वास्थ्य एवं पारिवारिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।

प्रकाशित पुस्तकें : एड्स पर हिन्दी की पहली पुस्तक ‘महारोग एड्स’ के अलावा मानव स्वास्थ्य और चिकित्सा-विज्ञान पर 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। साथ ही कुछ साहित्यिक पुस्तकें—‘नहीं, यह व्यंग्य नहीं’, ‘मीटिंग चालू आहे’ और काव्य-संकलन ‘मायने बदल चुके हैं’ तथा लघु कथा-संकलन ‘टुकड़ा-टुकड़ा सच’ भी प्रकाशित।

पुरस्कार : 'डॉ. मेघनाद साहा राष्ट्रीय पुरस्कार’, 'आर्यभट पुरस्कार’, 'राजीव गांधी मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार’, ‘राजभाषा गौरव पुरस्कार’, ‘वाङ्मय पुरस्कार’, ‘डॉ. शैलेन्द्र खरे स्मृति सम्मान’ आदि।

Read More
Books by this Author

Back to Top