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Mohan Rakesh Rachanawali : Vols. 1-13-Hard Cover

Special Price ₹8,840.00 Regular Price ₹10,400.00
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9788183614276
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मोहन राकेश हिन्दी के सर्वाधिक ‘एक्सपोज़्ड’ रचनाकार माने जाते हैं। राकेश का जीवन और लेखन ‘घर’ नामक मृगमरीचिका के पीछे बेतहाशा भागते एक बेसब्र, बेचैन, व्याकुल और ज़िद्दी तलाश का पर्याय है।

रचनावली का यह पहला खंड—‘अन्तरंग’—उनके इसी ‘अपना आप’ पर केन्द्रित है। यह खंड लेखक के पेचीदा जीवन के बहिरंगी बहुरूपों को दिखाने के साथ–साथ अन्तरंग के गुह्य प्रदेशों के विचित्र रहस्य–लोक के गवाक्ष भी खोलता है। इसका पहला अंश अधूरा ‘आत्मकथ्य’ है। इसके बाद ‘चींटियों की पंक्तियाँ : ज़मीन से काग़ज़ों तक’, ‘देखो बच्चू!’ और मृत्यु से लगभग दो महीने पहले रजिन्दर पॉल द्वारा लिया गया एक ऐसा साक्षात्कार है, जो उनके उदास, असुरक्षित, अस्थिर एवं अकेले आरम्भिक जीवन की प्रामाणिक और दिलचस्प झाँकी प्रस्तुत करता है।

इस खंड के अन्त में 1950 से 1958 तक उनके द्वारा लिखी गई डायरी को रखा गया है। राकेश के अन्तर्विरोधी जटिल चरित्र एवं उनके साहित्य को सही परिदृश्य और उचित सन्दर्भ में समझने के लिए यह खंड महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 3000p
Price ₹10,400.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 30.1
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Mohan Rakesh

Author: Mohan Rakesh

मोहन राकेश

‘नई कहानी’ के दौर के अग्रणी रचनाकारों में एक मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को जंडीवाली गली, अमृतसर में हुआ।

शिक्षा : संस्कृत में शास्त्री, अंग्रेज़ी में बी.ए., संस्कृत और हिन्दी में एम.ए.। जीविका के लिए लाहौर, मुम्बई, शिमला, जालन्‍धर और दिल्ली में अध्यापन, सम्पादन और स्वतंत्र-लेखन।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘अँधेरे बन्द कमरे’, ‘अन्तराल’, ‘न आने वाला कल’, ‘काँपता हुआ दरिया’ (उपन्यास); ‘आषाढ़ का एक दिन’, ‘लहरों के राजहंस’, ‘आधे-अधूरे’, ‘पैर तले की ज़मीन’ (नाटक); ‘शाकुन्तल’, ‘मृच्छकटिक’ (अनूदित नाटक); ‘अंडे के छिलके : अन्य एकांकी तथा बीज नाटक’, ‘रात बीतने तक तथा अन्य ध्वनि नाटक’ (एकांकी); ‘क्वार्टर’, ‘पहचान’, ‘वारिस’, ‘एक घटना’ (कहानी-संग्रह); ‘बक़लम ख़ुद’, ‘परिवेश’ (निबन्ध); ‘आख़िरी चट्टान तक’ (यात्रावृत्त); ‘एकत्र’ (अप्रकाशित-असंकलित रचनाएँ); ‘बिना हाड़-मांस के आदमी’ (बालोपयोगी कहानी-संग्रह) तथा ‘मोहन राकेश रचनावली’ (13 खंड)।

विशेष : फ़िल्म वित्त निगम के निदेशक और फ़िल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य भी रहे।

सम्मान : सर्वश्रेष्ठ नाटक व सर्वश्रेष्ठ नाटककार के लिए ‘संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार’, ‘नेहरू फ़ेलोशिप’ आदि।

निधन : 3 दिसम्बर, 1972; नई दिल्ली।

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