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Meri Vichar Yatra ( Samajik Nyay : Antaheen Pratiksha )-Hard Cover

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9788126716975
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सामाजिक ताने-बाने को बदलने की दिशा में संघर्षरत रामविलास पासवान के वैचारिक लेखों का महत्त्वपूर्ण संकलन है: 'मेरी विचारा यात्रा' ! ये लेख नियमित रूप से मासिक पत्रिका 'न्याय चक्र में सम्पादकीय रूप में छपते रहे हैं, अब पहली बार पुस्तकाकार में !दो जिल्दों में प्रकाशित 'मेरी विचार यात्रा' के इस प्रथम भाग को छह अध्यायों में विभक्त किया गया है। प्रथम अध्याय में जहाँ 1991 से 2003 के बीच दलित उत्पीड़न और उसके खिलाफ वैचारिक संघर्ष को बल मिलता है, वहीं महिला आरक्षण तथा निजी क्षेत्र के आरक्षण सम्बन्धी उनके विचार नई सोच पैदा करते हैं। दूसरे अध्याय में रामविलास पासवान अपने लेखों के माध्यम से साम्प्रदायिकता फैलाने की कोशिशों को बेनकाब करते हैं। तीसरे अध्याय में संसदीय लोकतन्त्र के विभिन्न पक्षों पर उनकी सार्थक टिप्पणियां हैं। ये टिप्पणियां बताती हैं कि यदि हम अब भी चेते नहीं तो लोकतन्त्र का स्वरूप विकृत हो सकता है। चौथे, पांचवें और छठे अध्यायों में भारतीय आजादी की वास्तविकता, देश में मीडिया की स्थिति के रेखांकन के साथ बाबा साहेब अम्बेडकर, महात्मा गांधी, लोकनायक जयप्रकाश, मधु लिमए, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एपीजे अब्दुल कलाम तथा अपने पिताजी के प्रति उनकी भावभीनी श्रद्धांजलि है। 'मेरी विचार यात्रा' रामविलास पासवान के वैचारिक लेखों का ऐसा संकलन है, जो हमें देश में व्याप्त ज्वलन्त समस्याओं से रू-ब-रू ही नहीं कराता, बल्कि उस दिशा में सोचने के लिए भावोद्वेलित भी करता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 408p
Price ₹600.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 24.5 X 16 X 2.5
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Ramvilas Paswan

Author: Ramvilas Paswan

रामविलास पासवान

जन्म : 5 जुलाई, 1946 को ज़िला मुंगेर (बिहार) के अलौली प्रखंड के एक गाँव शहरबन्नी में।

शिक्षा : गाँव से पाँच किलोमीटर दूर जगमोहरा के प्राइमरी स्कूल में पाँचवीं तक, फिर गाँव के दक्षिण बघौना में मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई पूरी की। खगड़िया में हाईस्कूल में दाख़िला लिया, और वहीं से कोसी कॉलेज में प्रवेश।

कॉलेज में ही राजनीतिक गतिविधियों के सम्पर्क में आए। पोस्ट ग्रेजुएशन करने जब पटना पहुँचे, तब उस समय चल रहे नक्सल आन्दोलन से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। लेकिन समय और अनुभव ने विचारधारा में एक नया मोड़ दिया, फलस्वरूप 1967 में ‘प्रजा सोशलिस्ट पार्टी’ से चुनाव लड़ रहे अपने मामा लक्ष्मी हजारी के चुनाव-प्रचार में बढ़-चढ़कर अपनी सक्रियता दिखाई। दो वर्षों के बाद ही 1969 में अलौली से विधानसभा चुनाव लड़े और जीत गए। लेकिन इसके बावजूद संसदीय लोकतंत्र में सही अर्थों में उनका विश्वास जेपी आन्दोलन से जुड़ने के बाद ही हुआ। लोहिया जी से तो वह पहले से ही प्रभावित थे, लेकिन इस आन्दोलन के ज़रिये जेपी सहित कई वरिष्ठ समाजवादी नेताओं के सम्पर्क में आए। जेपी की वजह से 1977 में लोकसभा का टिकट मिला, और इस तरह आप लोकसभा में पहली बार पहुँचे और ताज़िन्दगी सम्माननीय सांसद रहे।

‘लोक जनशक्ति पार्टी’ के अध्यक्ष रहे रामविलास पासवान कई मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी निभाई। पहले श्रम और सामाजिक कल्याण मंत्रालय, फिर रेल मंत्रालय, संचार मंत्रालय, कोयला और खाद मंत्रालय, इस्पात, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय आदि।

सामाजिक गतिविधियाँ : युवाओं का काडर ‘दलित सेना’ का संचालन तथा ‘दलित सेना’ को निरन्तर वैचारिक ऊर्जा देने के लिए मासिक पत्रिका ‘न्याय चक्र’ का सम्पादन भी किया।

निधन : 8 अक्टूबर, 2020

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