Facebook Pixel

Maxim Gorki Ki Lokpriya Kahaniyan-Hard Cover

Special Price ₹760.75 Regular Price ₹895.00
15% Off
In stock
SKU
9788183614672
- +
Share:
Codicon

मैक्सिम गोर्की की गणना विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों में की जाती है। उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं—नाटक, कविता, निबन्ध, कहानी आदि—में योगदान दिया, किन्तु वे विशेष रूप से अपने उपन्यास ‘माँ’ एवं अन्य उपन्यासों एवं कहानियों के लिए जाने जाते हैं।

गोर्की की प्रारम्भिक कहानियाँ दो भिन्न-भिन्न शैलियों—रोमांटिक (स्वच्छन्दतावादी) और यथार्थवादी—में लिखी गई हैं। अपनी रोमांटिक कहानियों में उन्होंने जीवन के प्रेरणादायक और उदात्त चित्र प्रस्तुत कर अपने अभावों और दरिद्रता से भरे जीवन की परिस्थितियों को भूलने का प्रयत्न किया है। इसलिए उन्होंने अपनी कल्पना की रंगीनियों से उन्हें सजाया है। ये कहानियाँ मनुष्य के शौर्य, साहस और स्वतंत्रता की भावनाओं से अनुप्राणित हैं और इनमें ऐसे स्वप्नों की अभिव्यक्ति है जो आज की यथार्थता को बेधकर आगामी कल की यथार्थता को देखते हैं। यथार्थवादी कहानियों के कथानक, घटनाएँ और पात्र वास्तविक जीवन से लिए गए हैं। ऐसी समस्याएँ प्रस्तुत की गई हैं, जो हर दिन के जीवन में सामने आ रही थीं, जिनका लेखक को अपने इर्द-गिर्द के जीवन में अनुभव हुआ था और जो तत्कालीन रूस के पुराने सामन्तवादी-पितृसत्तात्मक ढाँचे के टूटने और पूँजीवाद की ओर तीव्र संक्रमण के फलस्वरूप जन्म लेते हुए नए सामाजिक सम्बन्धों, नए रिश्तों का परिणाम था। इनमें जहाँ मध्यम वर्ग के लोगों की कूपमंडूकता, उनके बौद्धिक दैन्य, उनकी उदासीनता, उनकी क्रूरता और संकीर्णता पर ज़ोरदार चोट की गई है, वहीं बुद्धिजीवियों तथा साहित्यकारों पर भी प्रहार किया गया है।

गोर्की ने जीवन के स्वामियों अर्थात् साधन-सम्पन्न शोषक वर्ग के लालच, स्वार्थपरता और उसके मुक़ाबले में ऐसे पात्रों को भी प्रस्तुत किया है जो क्रूर परिस्थितियों के परिणामस्वरूप जीवन के गर्त या तल में पहुँच गए थे। उनमें से कुछ अपने मानवीय लक्षणों को भी खो बैठे थे, किन्तु अधिकांश की आत्मा में उनका मानव जीवित रहा था। गोर्की ने उन सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डाला है, उनका विश्लेषण किया है, जो लोगों को पतन की ओर ले जाती हैं, किसी नारी को वेश्या बनने के लिए विवश करती हैं, बच्चों से भीख मँगवाती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2012
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 172p
Price ₹895.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Maxim Gorki Ki Lokpriya Kahaniyan-Hard Cover
Your Rating
Maxim Gorki

Author: Maxim Gorki

मैक्सिम गोर्की

मैक्सिम गोर्की का जन्म 28 मार्च, 1868 को वोल्गा के तट पर बसे नीजी नवगिरोव के एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। बाद में उनकी मृत्यु के पश्चात् इसी नगर का नाम ‘गोर्की’ रखा गया। उनका पैतृक नाम ‘मैक्सिमोविच’ एवं कुलनाम ‘पेशकोव’ था।

घातक बीमारियाँ, क्रूर व्यक्ति, दुर्भाग्य और दुर्घटनाएँ उनके जीवन के अभिन्न अंग बन गए थे। गोर्की के जीवन के कटु अनुभवों को सुनकर लियो टॉल्स्टॉय ने उनसे कहा था : ‘तुम अजब आदमी हो। मुझे ग़लत न समझ बैठना लेकिन हो बड़े अजब आदमी। आश्चर्य है कि तुम अब भी इतने भले हो, जबकि तुम्हें बुरा बनने का पूरा अवसर था। सचमुच तुम्हारा हृदय बड़ा विशाल है।’

गोर्की की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने अपने युग की विसंगतियों और विरोधी शक्तियों के स्वरूप को बहुत जल्दी ही समझ लिया। इस तरह उन्होंने रूसी साहित्य में उभरते हुए निराशावाद और दासवाद के स्वरों का ज़ोरदार विरोध किया और लेखकों-साहित्यकारों को उनके सामाजिक कर्तव्य की चेतना कराई। अपने कृतित्व द्वारा उन्होंने एक नया आदर्श प्रस्तुत किया और रूसी साहित्य को ही नहीं, विश्व साहित्य को भी एक नई दिशा दी।

निधन : 18 जून, 1936; मॉस्को, (सोवियत संघ)।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top