Mahila Sashaktikaran : Dasha Aur Disha

Author: Yogendra Sharma
Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Mahila Sashaktikaran : Dasha Aur Disha
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महिलाओँ की संख्या विश्व की जनसंख्या से लगभग आधी है। उनके उन्नयन के बिना परिवार, समाज व राष्ट्र की प्रगति सम्भव नहीं है। आज वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यताओं एवं क्षमताओं को उजागर कर रही हैं, जागरूकता एवं आत्मनिर्भरता की ओर उन्मुख हैं। पहले की अपेक्षा उनकी स्थिति में सुधार हुआ है, अधिकारों एवं सुरक्षा में बढ़ोतरी भी हुई है। अब भी वे मंज़िल से दूर हैं, उन्हें यह सब कुछ प्राप्त नहीं हो सका है जो उनका अभीष्ट है। उनके विरुद्ध होनेवाले अपराधों में विगत की तुलना में वृद्धि हुई है। यद्यपि नए और कठोर क़ानून भी बने हैं लेकिन प्रभावी क्रियान्वयन तथा सामाजिक चेतना के अभाव में सशक्तीकरण कर लक्ष्य पूर्ण नहीं हो सका है।

महिलाओं की उपेक्षा करने की प्रवृत्ति को त्यागकर कुकृत्यों के विरुद्ध आवाज़ उठानी होगी तथा विधिक कार्यवाही के प्रति तत्पर होना होगा। तभी उन्हें प्रताड़ना, अत्याचार एवं शोषण से मुक्ति सम्भव होगी।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 175p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Yogendra Sharma

Author: Yogendra Sharma

योगेन्द्र शर्मा

जन्म : 10 जुलाई, 1945; फ़ैज़ाबाद (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए., बी.एड., साहित्य रत्न, डिप्लोमा इन टीचिंग इंगलिश।

पी.ई.एस., वरिष्ठ शोध मनोवैज्ञानिक, सेवानिवृत्त, पूर्व सचिव, गांधी स्वाध्याय मंडल एवं रंगभूमि, साहित्यिक संस्थाओं में चार वर्ष तक प्रवक्ता, लोकसेवा आयोग उत्तर प्रदेश से चयनित होकर शिक्षा विभाग के राजकीय सेवा में 36 वर्षों तक कार्यरत एवं 2005 में सेवानिवृत्ति। इस अवधि में विभिन्न सहायता प्राप्त तथा राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता तथा राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य। सन्देश में स्थित विभिन्न मंडलीय मनोविज्ञान केन्द्रों में वोकेशनल गाइडेंस काउन्सलर एवं मंडलीय मनोवैज्ञानिक तथा मनोविज्ञानशाला में वरिष्ठ शोध मनोवैज्ञानिक।

प्रमुख कृतियाँ : ‘आवृत्त अनावृत’ (उपन्यास); ‘शिलालेख विश्वास का’ (काव्य-संग्रह); ‘यश गाथाएँ’ (जीवनी-साहित्य); ‘किशोर एवं युवाओं की मनोवृत्तियाँ और विकास’, ‘बाल शिक्षा और विकास’ आदि।

सम्मान : उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा वर्ष 2015 का ‘बाबू श्यामसुन्दर दास सर्जना पुरस्कार’, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उ.प्र. द्वारा ‘साहित्य गौरव सम्मान’ से विभूषित।

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