Madhyayugeen Premakhyan

Edition: 2007, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Madhyayugeen Premakhyan

श्याम मनोहर पाण्डेय की महत्त्वपूर्ण कृति है—‘मध्ययुगीन-प्रेमाख्यान’। जिस समय इस पुस्तक का प्रथम संस्करण प्रकाशित हुआ था, उस समय दाऊद कृत ‘चंदायन’, कुतुबन कृत ‘मृगावती’, ‘कदमराव पदम’ तथा कतिपय अन्य सूफ़ी प्रेमाख्यान प्रकाशित नहीं थे। असूफ़ी प्रेमाख्यानों में दयाल कवि कृत ‘शशिमाला कथा’, पुहुकर कृत ‘रसरतन’ आदि ग्रन्थ अप्रकाशित थे। प्रस्तुत संस्करण में इन सबका उपयोग कर लिया गया है। अवधी के विकास में सूफ़ियों ने क्या योगदान किया है, इस सम्बन्ध में इस संस्करण में अधिक विस्तार से विचार किया गया है। पुस्तक के अन्त में एक विशद् ग्रन्थ-सूची भी जोड़ दी गई है, जिससे सूफ़ी तथा असूफ़ी साहित्य के अनुसन्धानकर्ताओं को सुविधा हो सके।

आचार्य परशुराम चतुर्वेदी के शब्दों में, “डॉ. पाण्डेय ने अपने अनुसन्धान का काम बड़े परिश्रम के साथ किया है और उसे उपयुक्त रूप प्रदान करने की सफल चेष्टा भी की है। उन्होंने उसके महत्त्वपूर्ण विषय का अध्ययन करते समय यथासम्भव मूल फ़ारसी ग्रन्थों का उपयोग किया है तथा भरसक इस बात की भी चेष्टा की गई है कि कोई बात भ्रमात्मक न रह जाए। जहाँ तक पता है, इस विषय पर अभी तक कोई शोध-कार्य नहीं किया गया था और न इतने सम्यक् रूप में विचार करके उसका परिणाम प्रस्तुत किया गया था। यह पुस्तक इस दृष्टि से एक नवीन प्रयास है और इसके साथ-साथ अपने ढंग से एक आदर्श उपस्थित करती है।”
डॉ. पाण्डेय ने समस्त मूल स्रोतों का मन्थन करके जो निष्कर्ष निकाले हैं, वे महत्त्वपूर्ण हैं। इन निष्कर्षों के सहारे सूफ़ी एवं असूफ़ी प्रेमाख्यानों के अध्ययन के सम्बन्ध में रुचि-सम्पन्न पाठकों को एक नया एवं अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण मिलता है।

जैसा कि डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल का कथन है, “डॉ. पाण्डेय का यह शोध-ग्रन्थ प्रथम कोटि का है। इसमें डॉ. पाण्डेय ने अन्य सम्बन्धित सामग्री के साथ संस्कृत एवं फ़ारसी में प्राप्त सामग्री का भी पूरी तरह उपयोग किया है। फलतः उनके निष्कर्ष बड़े मूल्यवान हैं। निश्चित रूप से यह हिन्दी साहित्य को डॉ. पाण्डेय की महत्त्वपूर्ण देन हैं।”

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 355p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2.5
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Shyam Manohar Pandey

Author: Shyam Manohar Pandey

प्रो. श्याम मनोहर पाण्डेय

जन्म :सन् 1936 ई. गोठहुली, बलिया ( उ.प्र.)

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा बलिया में हुई।

बी.ए.,एम.ए., डी.फिल., इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद।

गतिविधियाँ : प्रोफेसर, हिन्दी भाषा और साहित्य, ओरियंटल विश्वविद्यालय, नेपुल्स, इटली। सन् 1962 से 1965 तक शिकागो विश्वविद्यालय में प्राध्यापक। सन् 1962 से 1965 तक शिकागो विश्वविद्यालय में प्राध्यापक। सन् 1965 से 1967 तक अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डियन स्टडीज़ (फिलाडेल्फया) के सीनियर फेलो। सन् 1968 से 1975 तक लंदन विश्वविद्यालय के 'स्कूल ऑफ ओरियंटल एण्ड अफ्रीकन स्टडीज़' में मध्ययुगीन साहित्य के प्राध्यापक। 1976 में शिमला के 'इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज़' के विज़िटिंग फेलो। पूना विश्वविद्यालय, पूना, पेविंग विश्वविद्यालय, चीन तथा विसकांसिन युनिवर्सिटी, मैडिसन, अमेरिका में भी विज़िटिंग, मैडिसन, अमेरिका में भी विज़िटिंग प्रोफेसर की हैसियत से काम किया है।

सम्मान : लंदन में आयोजित 1999 ई. में विश्व हिन्दी सम्मेलन द्वारा सम्मानित, सन् 2000 में कानपुर विश्वविद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि, साहित्य अकादमी, दिल्ली से 'भाषा सम्मान' तथा उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ से साहित्य भूषण' सम्मान से विभूषित। साहित्य-सेवा : मध्य-युगीन प्रेमाख्यान, सूफी काव्य विमर्श, सूफ़ी मंसूर हल्लाज की बानी, हिन्दी और फ़ारसी सूफ़ी काव्य, लोक महाकाव्य लोरिकी, लोक महाकाव्य चनैनी, लोक महाकाव्य लोरिकायन, भोजपुरी लोरिकी, भोजपुरी लोरिकी भाग-2, चंदायन (रचयिता मौलाना दाऊद), सूफ़ी काव्य अनुशीलन। हिन्दी की मान्य शोध पत्रिकाओं के अतिरिक्त 'द जर्नल ऑफ़ दि अमेरिकन ओरियंटल सोसाइटी' (अमेरिका), हिस्ट्री ऑफ़ रेलिजन्स' (शिकागो), 'बुलेटिन ऑफ़ दि ओरियंटल एण्ड अफ्रीकन स्टडीज़' (लंदन), 'साउथ एशियन रिव्यू' ( लंदन), 'ओरियंटालिया लावानिसिया पिरियाडिका' (बेल्जियम), 'अन्नाली नेपुल्स' (इटली) तथा अन्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में शोध निबन्ध और समीक्षाएँ प्रकाशित।

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