प्रेमचन्द शताब्दियों से पददलित, अपमानित और निष्चेषित कृषकों की आवाज़ थे; पर्दे में क़ैद, पद-पद पर लांछित और असहाय नारी जाति की महिमा के ज़बर्दस्त वकील थे; ग़रीबों और बेकसों के महत्त्व के प्रचारक थे। अगर आप उत्तर भारत की समस्त जनता के आचार-विचार, भाषा-भाव, रहन-सहन, आशा-आकांक्षा, दुःख-सुख और सूझ-बूझ को जानना चाहते हैं तो प्रेमचन्द
से उत्तम परिचायक आपको नहीं मिल सकता।
— आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2022 |
Edition Year | 2024, Ed. 1st |
Pages | 200p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22.5 X 14.5 X 2 |