Kis Prakar Ki Hai Yah Bhartiyata ?

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Kis Prakar Ki Hai Yah Bhartiyata ?
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भारतीय मूल्यों के प्रति अगाध निष्ठा और अपने व्यक्ति के स्तर पर विकट आत्मालोचन यू.आर. अनन्तमूर्ति के लेखक के विशिष्ट गुण हैं। ‘संस्कार’, ‘अवस्था’ और ‘भारतीपुर’ जैसे उपन्यासों में जिस प्रकार उन्होंने आधुनिक युग की चुनौतियों को कथा के भावालोक में समझा है, वैसी ही गहनता के साथ इस पुस्तक में संकलित निबन्धों में उन्होंने उन पर विचार किया है। ‘मैं अपने भीतर का आलोचक हूँ’, वे कहते हैं। परम्पराओं पर प्रश्न करते हैं और विकास की प्रश्नाकुल द्वन्द्वात्मकता में विश्वास रखते हैं।

‘किस प्रकार की है यह भारतीयता’ कुछ चुने हुए भाषणों, लेखों और साक्षात्कारों का संकलन है। दलित साहित्य, विकेन्द्रीकरण और संस्कृतिपरक कई आलोचनात्मक लेख इस पुस्तक में संकलित हैं। इन लेखों में लेखक क्षेत्रीय पवित्रता क़ायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका मानना है कि उपनिवेशविरोध की राजनीति से उपजी हुई अपनी संस्कृति की रक्षा अपनी भाषा में ही सृजन करने से सम्भव है। अनन्तमूर्ति ने अभिव्यक्ति के प्रगटीकरण के लिए अपनी मातृभाषा कन्नड़ का ही इस्तेमाल किया है। ज्ञान का आगार होने के नाते वह अंग्रेज़ी का समर्थन करते हैं, लेकिन उसके आक्रमणकारी तेवर का विरोध भी करते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2022, Ed. 4th
Pages 140p
Translator Bhalchandra Jayshetti
Editor Editor Two
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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U.R. Ananthamurthy

Author: U.R. Ananthamurthy

यू.आर. अनन्तमूर्ति

जन्म : 21 दिसम्बर, 1932; मिलिगे नामक गाँव, जिला—शिमोगा (कर्नाटक) में।

शिक्षा : मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. और बर्मिंघम विश्वविद्यालय (इंग्लैंड) से पीएच.डी.।

कन्नड़ के प्रख्यात उपन्यासकार और कथा-लेखक। यदा-कदा कविताओं की भी रचना।

सन् 1975 में आयोवा विश्वविद्यालय, 1978 में तुफ्त्स विश्वविद्यालय (अमेरिका) में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर और 1985 में आयोवा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अन्तरराष्ट्रीय लेखक सम्मेलन में हिस्सेदारी। सन् 1987 से 1991 तक महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टायम के उप-कुलपति और सन् 1980-1992 के बीच मैसूर विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर-पद पर कार्य। ‘नेशनल बुक ट्रस्ट’, नई दिल्ली के चेयरमैन और ‘साहित्य अकादेमी’ के अध्यक्ष-पद पर भी कार्यरत रहे।

‘भारतीय ज्ञानपीठ’ सहित साहित्य, संस्कृति और फ़िल्म क्षेत्र के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित। देश-विदेश में आयोजित अनेक साहित्य-सम्मेलनों में व्याख्यान और अनेक संस्थाओं की मानद सदस्यता। ‘अवस्था’, ‘संस्कार’ आदि उपन्यासों पर फ़िल्मों का निर्माण। अंग्रेज़ी, रूसी, फ़्रेंच, हंगेरियन, हिन्दी, बांग्ला, मलयालम, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद।

हिन्दी में अनूदित कृतियाँ : ‘संस्कार’, ‘अवस्था’, ‘भारतीपुर’ (उपन्यास); ‘घटश्राद्ध’, ‘आकाश और बिल्ली’ (कहानी-संग्रह); ‘किस प्रकार की है यह भारतीयता’ (निबन्ध)।

निधन: 22 अगस्त, 2014

 

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