यू.आर. अनन्तमूर्ति कन्नड़ के महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं। रूढ़ियों और अन्धविश्वासों पर प्रहार उनकी लेखकीय पहचान में शामिल है। अवस्था भी ऐसा ही उपन्यास है जो हमारे मौजूदा हालात के लिए ज़िम्मेदार सामाजिक रूढ़ियों और मानसिक अवरोधों पर चोट करता है।
सूत्रधार के माध्यम से पूरी कथा फ़्लैश-बैक में कही गई है। सूत्रधार स्वयं नायक है और लकवाग्रस्त है। चरवाहा कृष्णप्पा तरक़्क़ी करते हुए विधायक बन जाता है। राजनीतिक गलियारे में उसे रोज़ नित्य नई-नई क्षुद्रताओं का सामना करना पड़ता है और इससे बचाव के तरीक़े भी वह स्वयं तलाश करता है। स्वार्थ सिद्ध करने के लिए उसके आगे-पीछे मतलबपरस्तों की लम्बी क़तार लगी रहती है और अन्ततः अपना सियासी इस्तेमाल देखकर वह विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे देता है।
उपन्यास में राजनीतिक भेड़चाल के साथ-साथ एक काव्यात्मक प्रेमकथा भी चलती है। कथा तो बेजोड़ है ही, अपने शिल्प में भी उपन्यास ध्यान आकृष्ट करता है। कृष्णप्पा और गौरी के अलावा और भी कई पात्र हैं जो अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 1980 |
Edition Year | 2023, Ed. 3rd |
Pages | 189p |
Translator | Bhalchandra Jayshetti |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 14 X 1 |