Kala Ragister

Author: Ravindra Kaliya
Edition: 2007
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
10% Off
Out of stock
SKU
Kala Ragister

एक टुटही सायकल है, उसके टैक्स का टोकन मैंने सायकल में ही कसवा दिया है। अब सरकार मुझसे क्या चाहती है? हुज़ूर आप ही बताइए, जो शख़्स बिना हुज्जत के सरकार का पूरा टैक्स अदा कर देता है, जिसकी किसी से कोई अदावत नहीं, जो सिर्फ़ अपने काम से काम रखता है और गर्दन नीची किए हुए उसी अल्लाह मियाँ को याद करके चुपचाप चलता रहता है, वह क्यों इतना परेशाँ है? जिधर निकलता हूँ, यही आवाज़ें आने लगती हैं—मारो! मारो! क्यों मरोगे भाई? मैंने क्या गुनाह किया है, किस जुर्म की सज़ा देना चाहते हो। इस घर से आवाज़ आ रही है, उस घर से भी यही आवाज़ आ रही है। बाज वक़्त कान लगाकर सुनता हूँ तो यक़ीन हो जाता है कि किसी इनसान की ही आवाज़ है। आप तो पढ़े-लिखे आदमी हैं हुज़ूर, क्या मुझे बता सकते हैं कि हुकूमत क्यों ख़ामोश है? लगता है, आप हुकूमत की बात से ऊब रहे हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 1986
Edition Year 2007
Pages 103p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 17 X 11.5 X 0.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Kala Ragister
Your Rating
Ravindra Kaliya

Author: Ravindra Kaliya

रवीन्द्र कालिया

जन्म : 11 नवम्बर, 1938; जालन्धर, पंजाब।

शिक्षा : हिन्दी साहित्य में एम.ए.।

कुछ समय तक हिसार के डिग्री कॉलेज में प्राध्यापन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘खुदा सही सलामत है’, ‘17 रानाडे रोड’, ‘ए.बी.सी.डी.’ (उपन्यास); ‘नौ साल छोटी पत्नी’, ‘सत्ताईस साल की उम्र तक’, ‘ग़रीबी हटाओ’, ‘चकैया नीम’, ‘ज़रा-सी रोशनी’, ‘गलीकूचे’, ‘रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ’ (कहानी); ‘कॉमरेड मोनालिज़ा’, ‘स्मृतियों की जन्मपत्री’, ‘मेरे हमक़लम’, ‘सृजन के सहयात्री’, ‘ग़ालिब छुटी शराब’ (संस्मरण); ‘नींद क्यों रात-भर नहीं आती’, ‘तेरा क्या होगा कालिया’, ‘राग मिलावट मालकौंस’ (व्यंग्य)।

सम्पादन : भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘भाषा’ का सह-सम्पादन। ‘धर्मयुग’ में वरिष्ठ उप-सम्पादक। ‘मेरी प्रिय सम्पादित कहानियाँ’, ‘मोहन राकेश की श्रेष्ठ कहानियाँ’ सहित लगभग पचास पुस्तकों का सम्पादन। ‘वर्तमान साहित्य’ के कहानी महाविशेषांक, ‘साप्ताहिक गंगा यमुना’, ‘वागर्थ’ और ‘नया ज्ञानोदय’ का सम्पादन।

सम्मान व पुरस्कार : ‘शिरोमणि साहित्य सम्मान’ (पंजाब शासन), ‘राममनोहर लोहिया सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘प्रेमचन्द सम्मान’ (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान); ‘पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी पुरस्कार’ (मध्य प्रदेश शासन) आदि।

अन्तरराष्ट्रीय साहित्यिक कार्यक्रमों के सन्दर्भ में अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, सूरीनाम, दक्षिण अफ़्रीका आदि देशों की यात्राएँ।

विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में रचनाएँ शामिल। देश-विदेश की कई भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद। विभिन्न सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं के सदस्य रहे रवीन्द्र कालिया ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ के पूर्व निदेशक भी थे।

निधन : 09 जनवरी, 2016

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top