Kahani Ki Talash Main

Author: Alka Saraogi
Edition: 2019, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Kahani Ki Talash Main
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अलका सरावगी की कहानी-यात्रा कोई आयोजित भ्रमण नहीं है, यह जानने और जताने की है कि कैसे कोई कहानी के संसार की यात्रा शुरू कर देता है तो उसे पग-पग पर कहानियाँ मिलती रहती हैं। हाँ, इस मिलने में तलाशना जुड़ा है, मिलना सहज संयोग नहीं। लेखिका को सुन्दरता और परिपूर्ण जीवन की तलाश है और उसी की तलाश में वह कहानी पा लेती है—इसमें वह ऐसी सृजनात्मकता का वरण करती है जो सहज है पर जिसमें जटिलताओं का नकार नहीं।

संग्रह की दो कहानियाँ—‘कहानी की तलाश में’ और ‘हर शै बदलती है’ समकालीन हिन्दी कहानी के ढर्रे से कुछ अलग हैं, पर वे जैनेन्द्र कुमार और रघुवीर सहाय जैसे पूर्ववर्ती लेखकों की कहानियों की भी याद दिलाती हैं। इन कहानियों को जीवन की कहानियाँ कहने को मन करता है—रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का मतलब एक पिटी-पिटाई और ढर्रे की ज़िन्दगी नहीं होता, आख़िर हर दिन एक नया दिन भी होता है। यह एहसास कहानियाँ करवाती हैं जो निश्चय ही आज एक अत्यन्त विरल अनुभव है।

कहानियों में कुछ चरित्र-प्रधान हैं, लेकिन उनका मर्म किसी चरित्र के मनोवैज्ञानिक उद्घाटन के बजाय ‘आधुनिकतावादी’ जीवन की संवेदनहीनता और विसंगतियों को उजागर करने में ज़्यादा प्रकट है। ऐसी कहानियों में ‘आपकी हँसी’, ‘ख़िज़ाब’, ‘महँगी किताब’, ‘सम्भ्रम’ की याद आती है।

ये कहानियाँ हिन्दी कहानी की अमित सम्भावनाओं को प्रकट करती हैं और यह कोई कम बड़ी बात नहीं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1996
Edition Year 2019, Ed. 3rd
Pages 132p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1.5
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Alka Saraogi

Author: Alka Saraogi

अलका सरावगी

अलका सरावगी का जन्म 17 नवम्बर, 1960 को हुआ। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘कलि-कथा वाया बाइपास’, ‘शेष कादम्बरी’, ‘कोई बात नहीं’, ‘एक ब्रेक के बाद’, ‘जानकीदास तेजपाल मैनशन’, ‘एक सच्ची-झूठी गाथा’, ‘कुलभूषण का नाम दर्ज कीजिए’,

‘गांधी और सरलादेवी चौधरानी’ (उपन्यास); ‘कहानी की तलाश में’, ‘दूसरी कहानी’, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह)। जर्मन, फ्रेंच, इटैलियन, स्पेनिश, अंग्रेजी तथा अनेक भारतीय भाषाओं में उनकी कृतियों के अनुवाद हुए हैं।

उनके पहले ही उपन्यास ‘कलि-कथा वाया बाइपास’ को ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ तथा ‘शेष कादम्बरी’ उपन्यास को ‘बिहारी पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया।

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