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Jungle Jahan Shuru Hota Hai-Hard Cover

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पिछले कुछ वर्षों में हिन्दी लेखकों ने बहुधा अनछुए, परित्यक्त और वर्जित क्षेत्रों की यात्राएँ की हैं—जनजातियाँ, कोयला खदान, समुद्र, अन्तरिक्ष, तकनॉलॉजी और वे तमाम क्षेत्र जहाँ ज़िन्दगी साँस लेती है। नए साज और नए अन्दाज़ से नए-नए दिगन्तों की अर्गलाएँ खोलने के इसी क्रम में इस बार प्रस्तुत है हिन्दी के महत्त्वपूर्ण कथाकार संजीव का ताज़ा उपन्यास ‘जंगल जहाँ शुरू होता है’। जंगल यहाँ अपने विविध रूपों और अर्थ-छवियों के साथ केलेडेस्कोपिक अन्दाज़ में खुलता और खिलता है—थारू जनजाति, सामान्य जन, डाकू, पुलिस और प्रशासन, राजनीति, धर्म, समाज और व्यक्ति...और सबके पीछे से, सबके अन्दर से झाँकता, झहराता जंगल और जंगल को जीतने का दुर्निवार संकल्प।

उपन्यास के केन्द्र में है ‘मिनी चम्बल’ के नाम से जाना जानेवाला पश्चिमी चम्पारण, जहाँ अपराध पहाड़ की तरह नंगा खड़ा है, जंगल की तरह फैला हुआ है, नदियों में दूर-दूर तक बह रहा है, इतिहास के रंध्रों से हवा में घुल रहा है, भूगोल की भूल-भुलैया में डोल रहा है। जनजातियों और जंगली जीवों के बिन्दु से शुरू होकर यह जंगल फैलता ही चला गया है—पटना, लखनऊ, दिल्ली, नेपाल और देश—देशान्तर तक। उपन्यासकार ने बारह वर्षों के निरन्तर श्रमसाध्य शोध से जो अरण्यगाथा पेश की है, वह सर्वथा नई है—जितनी मनोरम, उतनी ही भयावह, और जुगुप्साकारी भी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2000
Edition Year 2019, Ed. 4th
Pages 287p
Price ₹695.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Sanjeev

Author: Sanjeev

संजीव

मूर्धन्य कथाकार संजीव का जन्म 6 जुलाई, 1947 को सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। 38 वर्षों तक एक रासायनिक प्रयोगशाला में कार्यरत रहे। सात वर्षों तक ‘हंस’ समेत कई पत्रिकाओं का सम्पादन और स्तम्भ-लेखन किया। लगभग दो वर्षों तक महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा और अन्य विश्वविद्यालयों में अतिथि लेखक रहे।

संजीव का अनुभव-संसार विविधताओं से भरा हुआ है। साक्षी हैं उनकी प्राय: दो सौ कहानियाँ और ‘अहेर’, ‘सर्कस’, ‘सावधान! नीचे आग है’, ‘धार’, ‘पाँव तले की दूब’, ‘जंगल जहाँ शुरू होता है’, ‘सूत्रधार’, ‘आकाश चम्पा’, ‘रह गईं दिशाएँ इसी पार’, ‘फाँस’, ‘रानी की सराय’, ‘मुझे पहचानो’ आदि उपन्यास। नवीनतम कृतियाँ हैं—महात्मा जोतिबा फुले पर केन्द्रित उपन्यास ‘ज्योति कलश’, छत्रपति शाहू जी पर केन्द्रित उपन्यास ‘प्रत्यंचा’, पुरबी के अनन्य गायक महेन्द्र मिश्र पर केन्द्रित उपन्यास ‘पुरबी बयार’ और ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’। कुछ कृतियों पर फिल्में बनी हैं, कुछ की उन्होंने पटकथाएँ लिखी हैं।

उन्हें ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘कथाक्रम सम्मान’, ‘इन्दु शर्मा अन्तरराष्ट्रीय कथा सम्मान’, ‘पहल कथा सम्मान’, ‘सुधा कथा सम्मान’, ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ समेत अनेक सम्मान प्रदान किए जा चुके हैं।

सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन।

सम्पर्क : writersanjiv@gmail.com

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