Hitler Ka Yatna-Griha

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Hitler Ka Yatna-Griha

हर जन्म लेनेवाले की मृत्यु निश्चित है। मृत्यु भयावह नहीं है, भयावह है उसकी कल्पना। इसीलिए शायद ईश्वर ने मानव–जाति को सचेत कर दिया कि उसकी मृत्यु अवश्यंभावी है, उसे कोई टाल नहीं सकता। परन्तु यह कब और कैसी होगी, इसे रहस्य बना दिया।

किन्तु इतिहास के उस काले काल में हिटलर के कॉन्सन्ट्रेशन कैम्पों में बन्द लाखों अभागों को यह मालूम था कि उन्हें कब और कैसी मौत मरना है। उन्हें पता था, अमुक दिन, अमुक समय अपने सगे–सम्बन्धियों से सदा–सदा के लिए बिछुड़ जाना है।

मौत को साक्षात् सामने देखकर उन क़ैदियों की कैसी मन:स्थिति रही होगी? मौत को क़रीब पा क्या वे लोग विचलित नहीं हो रहे होंगे? क्या वे अपने भीतर जीने की ललक समाप्त कर मृत्यु की कामना कर रहे होंगे?

मौत के मुँह की ओर धीरे–धीरे बढ़ते लाखों बच्चों, नवयुवकों, वृद्धाओं की रोंगटे खड़े कर देनेवाली छवियों का संचयन है हिटलर का यातना–गृह! ऐसा यातना–गृह जहाँ हिटलर की क्रूरता का नंगा नाच देखने के लिए अभिशप्त थे क़ैदी! उन्हीं की हक़ीक़त से रू-ब-रू करवाती है यह पुस्तक ‘कॉन्सन्ट्रेशन कैम्प में तीन घंटे’।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2002
Edition Year 2021, Ed. 5th
Pages 96p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Ajay Shankar Pandey

Author: Ajay Shankar Pandey

डॉ. अजय शंकर पाण्डेय

पिता का नाम : श्री रामप्रकाश पाण्डेय

स्थायी पता : 33/2, स्टैनली रोड, इलाहाबाद

वर्तमान पता : डीएम कम्पाउंड, सेक्टर-14, राजनगर, गाजियाबाद।

शैक्षिक योग्यता : हाई स्कूल (प्रथम श्रेणी), इंटर मीडिएट (प्रथम श्रेणी), बी.ए. (प्रथम श्रेणी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पाँचवाँ स्थान), एम.ए. (आधुनिक इतिहास, प्रथम श्रेणी; इलाहाबाद विश्वविद्यालय में तीसरा स्थान), पीएच.डी. (20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में यू.पी. में अपराध स्थिति एवं पुलिस प्रशासन), डी.लिट्. (अध्ययनरत) (विषय : लैंड मैनेजमेंट सिस्टम इन यू.पी.)

अनुभव : सी.एम.पी. कॉलेज, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन इतिहास विभाग में दो वर्ष तक प्रवक्ता के रूप में कार्यरत।

वर्ष 1986 में उ.प्र. सिविल सेवा में चयन।

आठ वर्षों तक जनपद चमोली, मिर्जापुर, कानपुर देहात, उन्नाव, आगरा, फिरोजाबाद व अलीगढ़ में उप-जिलाधिकारी के पद पर कार्य किया।

दो वर्ष तक मुख्यमंत्री सचिवालय, उ.प्र. में संयुक्त सचिव के पद पर कार्य किया।

वर्तमान में जिलाधिकारी, गाजियाबाद के पद पर कार्यरत।

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