Hindi Upanyas Ek Antaryatra

Edition: 2022, Ed. 7th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Hindi Upanyas Ek Antaryatra

हिन्दी उपन्यास अभी अपनी यात्रा के सौ वर्ष भी पूर्ण नहीं कर सका है, किन्तु इतने ही दिनों में वह जीवन यथार्थ के इतने मोड़ों और विषम धरातलों से गुजरा है कि उसे ‘आधुनिक जीवन का आईना’ कहा जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक उपन्यास-यात्रा की एक अन्तर्यात्रा है। यह बहुत-सी छोटी-मोटी पुस्तकों की तरह धरातल पर दिखाई पड़ने वाली घटनाओं, श्रेणीबद्ध चरित्र-चित्रणों, संस्थागत विचारों और रूढ़ शिल्प-चर्चाओं के ब्योरे में नहीं भटकी है, यह तो यात्रा की भीतरी चेतनाओं, सामाजिक और मानसिक सत्यों के सन्दर्भों में उभरते विविध मोड़ों और गतियों को पकड़ने के प्रयत्न में रही है। इसीलिए इसमें उपन्यास की गतियों, मोड़ों और चेतनाओं तथा उन्हें निर्मित या प्रभावित करनेवाली परिस्थितियों का निरीक्षण तो किया ही गया है, साथ-ही-साथ विशिष्ट कृतियों की निजी सौन्दर्य-चेतना को भी संश्लिष्ट रूप में रखने का प्रयास है। निजी सौन्दर्य-चेतना के अभाव में कृतियाँ कृतियाँ न रहकर सामाजिक या मनोवैज्ञानिक सत्यों का दस्तावेज बन जाती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में इसलिए बहुत से ऐसे चर्चित मोटे-मोटे उपन्यास नहीं लिए गए हैं जो सौन्दर्य-चेतना के अभाव में विशिष्ट सृजन नहीं बन सके हैं। सीमित आकार के नाते भी प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे अनेक उपन्यासों को छोड़ना पड़ा है जिनकी चर्चा की जा सकती तो अच्छा रहता, किन्तु किसी धारा में प्रमुख योगदान न दे सकने या निजी तौर पर विशिष्टतर उपलब्धि न प्राप्त कर सकने के कारण जिनका अचर्चित रह जाना विशेष महत्त्व नहीं रखता। लेखक की अन्तर्दृष्टि हिन्दी उपन्यास के संश्लिष्ट व्यक्तित्व और उसकी चेतना-यात्रा को पहचानने में सफल हुई है। यह पुस्तक अपने सीमित आकार में भी समग्र और प्रभावशाली है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1968
Edition Year 2022, Ed. 7th
Pages 279p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Ramdarash Mishra

Author: Ramdarash Mishra

रामदरश मिश्र

जन्म : श्रावण पूर्णिमा सं. 1881 को डुमरी, ज़िला—गोरखपुर में।

शिक्षा : उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राप्त की।

आठ वर्षों तक गुजरात में हिन्दी के अध्यापक रहे। तदुपरान्त हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापन। वहाँ से सेवानिवृत्त होने के बाद अब स्वतंत्र लेखन में व्यस्त।

प्रकाशन : चार काव्य-संग्रह, सात उपन्यास, पाँच कहानी-संग्रह, एक निबन्ध-संग्रह और दस समीक्षात्मक कृतियाँ प्रकाशित। कुछ प्रमुख समीक्षात्मक कृतियाँ हैं : ‘हिन्दी समीक्षा : स्वरूप और सन्दर्भ : एक अन्तर्यात्रा’, ‘हिन्दी कहानी : अन्तरंग पहचान’; ‘आज का हिन्दी साहित्य : संवेदना और दृष्टि’; ‘छायावाद का रचनालोक’।

सम्मान : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘उदयराज सिंह स्मृति सम्मान’ सहित कई सम्मानों से सम्मानित।

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