Bina Darvaze Ka Makaan

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Bina Darvaze Ka Makaan
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आर्थिक विपन्नता से ग्रस्त किसी युवती को जब जीवन-ज्ञापन के लिए काम करना पड़ता है तो समाज के भूखे भेड़िए उसे ललचाई नज़रों से देखने लगते हैं। लेकिन जब उसकी आर्थिक विपन्नता के साथ उसके पति की शारीरिक निष्क्रियता भी जुड़ जाए, तो उसे सार्वजनिक सम्पत्ति ही समझ लिया जाता है। ‘बिना दरवाज़े का मकान’ की नायिका दीपा निम्न वर्ग की एक ऐसी ही अभिशप्त युवती है जो जीविकोपार्जन के साथ-साथ अपनी मर्यादा की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। उसकी जीवन-प्रक्रिया तथा संघर्ष के क्रम में सम्भ्रान्त बेनक़ाब होता जाता है और दो समाज आमने-सामने तने हुए दिखाई पड़ते हैं। दिल्ली की एक भरी-पूरी कॉलोनी की पृष्ठभूमि पर आधारित कथा कभी-कभी गाँव की ओर भी चली जाती है और तब विडम्बना एकदम गहरा जाती है। दर्द और यातना के गहरे प्रसार के बीच जिजीविषा एवं संघर्ष से उत्पन्न मूल्य-चेतना उपन्यास को और सशक्त बनाती है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1994
Edition Year 2023, Ed 4th
Pages 136p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 17.5 X 12 X 1
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Ramdarash Mishra

Author: Ramdarash Mishra

रामदरश मिश्र

जन्म : श्रावण पूर्णिमा सं. 1881 को डुमरी, ज़िला—गोरखपुर में।

शिक्षा : उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राप्त की।

आठ वर्षों तक गुजरात में हिन्दी के अध्यापक रहे। तदुपरान्त हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापन। वहाँ से सेवानिवृत्त होने के बाद अब स्वतंत्र लेखन में व्यस्त।

प्रकाशन : चार काव्य-संग्रह, सात उपन्यास, पाँच कहानी-संग्रह, एक निबन्ध-संग्रह और दस समीक्षात्मक कृतियाँ प्रकाशित। कुछ प्रमुख समीक्षात्मक कृतियाँ हैं : ‘हिन्दी समीक्षा : स्वरूप और सन्दर्भ : एक अन्तर्यात्रा’, ‘हिन्दी कहानी : अन्तरंग पहचान’; ‘आज का हिन्दी साहित्य : संवेदना और दृष्टि’; ‘छायावाद का रचनालोक’।

सम्मान : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘उदयराज सिंह स्मृति सम्मान’ सहित कई सम्मानों से सम्मानित।

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