आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी साहित्येतिहास के उद्भट विद्वान् थे, चार चर्चित उपन्यासों और अनेक निबन्धों की रचना करके उन्होंने स्वयं को एक संवेदनशील रचनाकार के रूप में भी सिद्ध किया, इसके साथ ही भाषा-व्यवहार और विज्ञान पर भी उन्होंने बराबर कार्य किया जिसका प्रमाण यह ग्रन्थ है।
आचार्य द्विवेदी का अभी तक अप्रकाशित यह ग्रन्थ व्याकरण पर उनकी एक दीर्घ कार्य-योजना का हिस्सा है। उनकी यह अध्ययन-परियोजना चार खंडों में पूरी हुई थी, लेकिन दुर्भाग्यवश इस खंड के अलावा बाकी तीन खंड फ़िलहाल उपलब्ध नहीं हैं जिनकी खोज जारी है। इस ग्रन्थ में आचार्य द्विवेदी ने संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण की सोदाहरण व्याख्या करते हुए उनका वर्गीकरण किया है। विभिन्न कालखंडों के कवियों-रचनाकारों द्वारा किए गए प्रयोगों को उद्धृत करते हुए उन्होंने इस ग्रन्थ में सम्बन्धित विषय को अत्यन्त ग्राह्य शैली में प्रस्तुत किया है। शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और जिज्ञासु पाठकों के लिए एक आवश्यक ग्रन्थ।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2011 |
Edition Year | 2022, Ed. 3rd |
Pages | 592p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 3.5 |