Gandhi Aur Unke 'Satyagrah' Ki Yatra-Hard Back

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जब तक मानव सभ्यता का अस्तित्व है तब तक गाँधी की प्रासंगिकता बनी रहेगी, क्योंकि गाँधी ने मानवता के साथ मानव सभ्यता के मौलिक मूल्यों और मानवता के आदर्शों, प्रतिमानों पर ही अपना दर्शन आधारित किया और उसे क्रियान्वित करते हुए अपना जीवन भी जी कर दिखा दिया। जब तक विश्व में युद्ध और युद्धपरक परिस्थितियाँ बनी रहेंगी, मानव-समाज और विश्व में उनके दर्शन का महत्‍त्‍व सदैव बना रहेगा। गाँधी मानवता, शान्ति, शान्तिपूर्ण अस्तित्व के साथ विकास के समर्थक थे और सत्य शाश्वत मूल्य अधारित हो अर्थात् सृष्टि, विश्व और समाज के मध्य भी सामंजस्य, सन्‍तुलन और सहभाग का भाव स्थायी हो, इसके इच्छुक थे। इसलिए किसी एक आयाम को लेकर गाँधी को समझने के लिए अध्ययन करना ख़तरा मोल लेना ही है। उनके व्यक्तित्व के समस्त आयामों के बिना उनका समावेशी अध्ययन सम्भव नहीं है। अत: गाँधी जी का हर अध्ययन उनकी जीवन-यात्रा का ही अध्ययन हो जाता है और इसलिए उन 'संस्कारों' और उनके व्यक्तित्व के मनोवैज्ञानिक विकास को भी विश्लेषित करना पड़ेगा तब हम उनको एवं उनके विचारों को समझ सकेंगे। बिना वांग्मय के अध्ययन के किसी लेखक, विचारक, ऐतिहासिक व्यक्तित्व को पूर्णता में समझा ही नहीं जा सकता। अत: गाँधी के 'सत्याग्रह' की यात्रा भी उनकी जीवन-यात्रा ही हो जाती है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 187p
Price ₹400.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14.5 X 1.5
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Heramb Chaturvedi

Author: Heramb Chaturvedi

हेरम्ब चतुर्वेदी

जन्म : दिसम्बर 31, 1955; इन्‍दौर, म.प्र.। निवासी—होलीपुरा, आगरा।

अध्यापन : 14 जनवरी, 1980 से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्यापन।

कृतित्व : ‘सल्तनतकालीन प्रमुख इतिहासकार’, ‘अभिव्यक्ति’, ‘फ़्रांस का इतिहास’, ‘मध्यकालीन इतिहास के स्रोत’ (वर्ष 2003 में ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ के ‘आचार्य नरेन्द्रदेव पुरस्कार’ से सम्‍मानित), ‘मध्यकालीन भारत में राज्य एवं राजनीति’ (वर्ष 2005 में ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ के ‘आचार्य नरेन्द्रदेव पुररकार’ से सम्‍मानित), ‘द इलाहाबाद स्कूल ऑफ़ हिस्ट्री’, ‘चतुर्वेदीज़ ऑफ़ इंडिया : द मथुरा क्लान’, ‘लाला सीताराम ‘भूप’’ (इतिहास); ‘दो सुल्तान, दो बादशाह’, ‘दास्तान मुग़ल महिलाओं की’ (‘बी.बी.सी.’, लन्दन द्वारा 2013 की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी पुस्तकों की सूची में शामिल), ‘दास्तान मुग़ल बादशाहों की’ (ऐतिहासिक कहानियों का संकलन); ‘मुग़ल शहज़ादा खुसरू’ (ऐतिहासिक उपन्यास); ‘हिन्दी के बहाने’, ‘एक दौर यह भी’ (काव्य-संकलन)। शोध-पत्रिकाओं में लगभग 75 शोध-पत्र प्रकाशित। ‘कादम्बिनी’, ‘साहित्य अमृत’, ‘संडे ऑब्‍जर्बर’, ‘दिनमान टाइम्स’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘मनोरमा’ में लेख आदि प्रकाशित। रेडियो, दूरदर्शन के नियमित वार्ताकार।

सम्प्रति : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में 2001 से प्रोफ़ेसर एवं पूर्व अध्यक्ष।

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