Pashchatya Itihas Darshan Evam Itihas Lekhan

Out of stock
Only %1 left
SKU
Pashchatya Itihas Darshan Evam Itihas Lekhan

"अराजक का अव्यवस्थित असंख्य तथ्यों के मध्य एक क्रम स्थापित करके मानव के विकास-क्रम को अनुरेखित करना ही इतिहास का विवरण प्रस्तुत करना होता है। वैसे इस अर्थ को दोनों रूपों में देखा-समझा जा सकता है-प्रथम तो संरचना के स्तर पर और दूसरे, उसके लेखन अथवा चित्रण के उद्देश्य के माध्यम से!""

"द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् शीत-युद्ध से लेकर भू- मंडलीकरण एवं उदारवाद से होते हुए सोवियत संघ के विघटन और 'वैश्विक ग्राम' की परिकल्पना के बाद के क्रम में जिस प्रकार, उत्तर-संरचनावाद, उत्तर- धुनिकतावाद, उपाक्रमी इतिहास लेखन से लेकर उत्तर-सत्य ('पोस्ट-टुथ') का दौर चल रहा है उसमें भाषाई बाजीगरी (सिमेटिक जग्लरी) में एक अजब दुविधापूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी है। यह दो विरोधाभासी विशेषताओं से युक्त काल प्रतीत हो रहा है, जिसमें एक ओर, मानव विश्व एकीकृत लगता है किन्तु दूसरी तरफ एक निश्चित ही भीषण अराजकता का काल है।"
"...एक ओर वह तकनीकी परिवर्तनों की स्वीकृति सेजूझता है और दूसरी तरफ तकनीकी एकता से संगठितहोने का लाभार्थी भी है। वैसे तो विश्व संक्रमणशीलहोने के नाते सदैव ही अनिर्णायक एवं अराजक-साप्रतीत होता है... पहली बार इस अराजकता को'तकनीकी उत्प्रेरक' ने उसे एक निश्चित ही अलग दशाऔर दिशा प्रदान की है। इसी अराजकता के कारण हम 'टुथ' या ऐतिहासिक तथ्यों की खोज में 'पोस्ट टुथ' तक पहुंच गए हैं।"

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Pashchatya Itihas Darshan Evam Itihas Lekhan
Your Rating
Heramb Chaturvedi

Author: Heramb Chaturvedi

हेरम्ब चतुर्वेदी

जन्म : दिसम्बर 31, 1955; इन्‍दौर, म.प्र.। निवासी—होलीपुरा, आगरा।

अध्यापन : 14 जनवरी, 1980 से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्यापन।

कृतित्व : ‘सल्तनतकालीन प्रमुख इतिहासकार’, ‘अभिव्यक्ति’, ‘फ़्रांस का इतिहास’, ‘मध्यकालीन इतिहास के स्रोत’ (वर्ष 2003 में ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ के ‘आचार्य नरेन्द्रदेव पुरस्कार’ से सम्‍मानित), ‘मध्यकालीन भारत में राज्य एवं राजनीति’ (वर्ष 2005 में ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ के ‘आचार्य नरेन्द्रदेव पुररकार’ से सम्‍मानित), ‘द इलाहाबाद स्कूल ऑफ़ हिस्ट्री’, ‘चतुर्वेदीज़ ऑफ़ इंडिया : द मथुरा क्लान’, ‘लाला सीताराम ‘भूप’’ (इतिहास); ‘दो सुल्तान, दो बादशाह’, ‘दास्तान मुग़ल महिलाओं की’ (‘बी.बी.सी.’, लन्दन द्वारा 2013 की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी पुस्तकों की सूची में शामिल), ‘दास्तान मुग़ल बादशाहों की’ (ऐतिहासिक कहानियों का संकलन); ‘मुग़ल शहज़ादा खुसरू’ (ऐतिहासिक उपन्यास); ‘हिन्दी के बहाने’, ‘एक दौर यह भी’ (काव्य-संकलन)। शोध-पत्रिकाओं में लगभग 75 शोध-पत्र प्रकाशित। ‘कादम्बिनी’, ‘साहित्य अमृत’, ‘संडे ऑब्‍जर्बर’, ‘दिनमान टाइम्स’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘मनोरमा’ में लेख आदि प्रकाशित। रेडियो, दूरदर्शन के नियमित वार्ताकार।

सम्प्रति : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में 2001 से प्रोफ़ेसर एवं पूर्व अध्यक्ष।

Read More
Books by this Author
Back to Top