Devnagari Jagat Ki Drishya Sanskriti

Author: Sadan Jha
Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Devnagari Jagat Ki Drishya Sanskriti
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“हिन्दी में सभ्यता-समीक्षा कम ही होती है और यह कहा जा सकता है कि यह हिन्दी में विचार और आलोचना की जो परम्परा रही है उससे विपथ होने जैसा है। इधर तो सारा समय हिन्दी में, जैसे कि अन्यत्र भी, देखने-दिखाने में ही बीतता है। इसके बावजूद अभी तक देवनागरी जगत में जो दृश्य संस्कृति विकसित हुई है उसका कोई सुचिन्तित अध्ययन नहीं हुआ है। सदन झा की यह पुस्तक इस सन्दर्भ में पहली ही है : उसमें समझ और जतन से, वैचारिक सघनता और खुलेपन से इस दृश्य संस्कृति के विभिन्न रूपों पर विचार किया गया है। निश्चय ही यह हिन्दी में चालू मानसिकता से अलग कुछ करने का ज़रूरी जोख़िम उठाने जैसा है। हम रज़ा पुस्तक माला में यह पुस्तक सहर्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।”

—अशोक वाजपेयी

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 206p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Sadan Jha

Author: Sadan Jha

सदन झा

सदन झा ने इतिहास की पढ़ाई की है। उनकी दिलचस्पी दृश्य जगत के इतिहास में रही है, जिसमें प्रतीकों तथा राष्ट्रीय झंडा, चरखा और भारत माता के इतिहास एवं रंगों के बनते-बदलते सामाजिक सरोकार दिल के क़रीबी विषय रहे हैं। इसके अतिरिक्त पिछले कुछ वर्षों से सूरत शहर के नगरीय अनुभवों पर केन्द्रित शोध कर रहे हैं। इनके प्रकाशन हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में अकादमिक और ग़ैर-अकादमिक दोनों ही क़िस्म के रहे हैं जिनमें इनकी किताब ‘रेवरेंस, रेसिस्टेंस एंड पॉलिटिक्स ऑफ़ सीइंग इंडियन नेशनल फ़्लैग (कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, 2016) शामिल है। हाल ही में छोटी कहानियों की एक किताब ‘प्रकाश-वृत्ति’ के अन्तर्गत ‘हॉफ़ सेट चाय’ शीर्षक से प्रकाशित हुई है। 

सम्प्रति : सूरत स्थित सेंटर फ़ॉर सोशल स्टडीज़ में एसोशिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं।

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