Deewan-E-Meer

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मीर तक़ी मीर भारतीय कविता के उन बड़े नामों में से हैं, जिन्होंने लोगों के दिलो-दिमाग़ में स्थान बनाया हुआ है। अपनी शायरी को दर्द और ग़म का मज़मूआ बताते हुए मीर ने यह भी कहा है कि मेरी शायरी ख़ास लोगों की पसन्द की ज़रूर है, लेकिन ‘मुझे गुफ़्तगू अवाम से है।’ और अवाम से उनकी यह गुफ़्तगू इश्क़ की हद तक है। इसलिए उनकी इश्क़ि‍या शायरी भी उर्दू शायरी के परम्परागत चौखटे में नहीं अँट पाती। इन्सानों से प्यार करके ही वे ख़ुदा तक पहुँचने की बात करते हैं, जिससे इस राह में मुल्ला-पंडितों की भी कोई भूमिका नज़र नहीं आती। यही नहीं, मीर की अनेक ग़ज़लों में उनके समय की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों तथा व्यक्ति और समाज की आपसी टकराहटों को भी साफ़ तौर पर रेखांकित किया जा सकता है, जो उन्हें आज और भी अधिक प्रासंगिक बनाती हैं।

दरअसल मीर की शायरी भारतीय कविता, ख़ास कर हिन्दी-उर्दू की साझी सांस्कृतिक विरासत का सबसे बड़ा सबूत है, जो उनकी रचनाओं के लोकोन्मुख कथ्य और आम-फहम गंगा-जमुनी भाषायी अन्‍दाज़ में अपनी पूरी कलात्मक ऊँचाई के साथ मौजूद है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2009
Edition Year 2018, Ed. 2nd
Pages 440p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
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Ali Sardar Zafari

Author: Ali Sardar Zafari

अली सरदार जाफ़री

जन्म : 29 नवम्बर, 1913; बलरामपुर, ज़‍िला—गोंडा, उत्तर प्रदेश।

शिक्षा : पहले घर पर रहकर उर्दू-फ़ारसी और क़ुरआन मजीद की तालीम ली। फिर धार्मिक शिक्षा सुल्तानुल मदरसा, लखनऊ में। बलरामपुर लौटकर अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षा। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दाख़िला। हड़ताल में हिस्सेदारी के चलते विश्वविद्यालय से निष्कासन। बाद में एंग्लो-अरेबिक कॉलेज, दिल्ली से स्नातक की उपाधि। लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. की अधूरी पढ़ाई।

आठ वृत्तचित्रों, धारावाहिकों का लेखन/निर्देशन। बाईस देशों की यात्राएँ।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आज़ाद, सत्यजित राय, पाब्लो नेरुदा, शोलोखोव, पास्तरनाक, लुई अरागाँ, पुश्चेव और पॉल राब्सन जैसी हस्तियों से मुलाक़ात-सोहबत।

‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ समेत 21 पुरस्कारों से सम्मानित।

प्रकाशित रचनाएँ : ‘परवाज़’, ‘ख़ून की कहानी’, ‘अम्न का सितारा’, ‘एशिया जाग उठा’, ‘पत्थर की दीवार’, ‘लहू पुकारता है’ (कविता); ‘नई दुनिया को सलाम’, ‘यह ख़ून किसका है’, ‘पैकार’ (नाटक); ‘मंज़िल’ (कहानी); ‘लखनऊ की पाँच रातें’ (संस्मरण); ‘तरक़्क़ीपसन्‍द अदब’, ‘इक़बालशनासी’, ‘पैग़म्बराने-सुख़न’, ‘ग़ालिब का सूफ़ियाना ख़याल’ (आलोचना); ‘दीवान-ए-मीर’, ‘दीवान-ए-ग़ालिब’, ‘कबीर बानी’ (सम्पादन)।

निधन : 1 अगस्त, 2000 को मुम्बई में।

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