Chaurangi

Author: Shankar
Translator: Rajkamal Chaudhary
Edition: 2023, Ed. 11h
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Chaurangi
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सुखी और दुखी, सहयोगी और विरोधी, उत्कर्ष और पतन, आदर्श और व्यवहार, व्यावसायिक और मानवीय—बहुविध मानव चरित्रों की कथा है यह उपन्यास ‘चौरंगी’। शाहजहाँ होटल के माध्यम से लेखक केवल कलकत्ता का चित्र नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानव व्यवहार का चित्र प्रस्तुत करता है। इस उपन्यास में इतने अधिक विविधरंगी चरित्र हैं कि इसे सहज ही मानव जीवन की महागाथा कहा जा सकता है पर महागाथाओं की तरह इसमें कोई महानायक नहीं है, इसीलिए यह उपन्यास कोई आदर्श भी नहीं रचता। यह केवल परत-दर-परत मानवीय व्यवहार के विभिन्न पहलुओं को खोलता चलता है। यही वजह है कि कई बार एक ही व्यक्ति के चरित्र के दो रूप उभरकर सामने आते हैं। महानगरीय जीवन की महत्त्वाकांक्षाओं के बीच किस तरह से इच्छाएँ और सम्बन्ध दम तोड़ जाते हैं, यह इसमें बख़ूबी देखा जा सकता है। परन्तु कभी भी सब कुछ नहीं टूटता, कभी भी सब कुछ नष्ट नहीं होता। नष्ट होने के बीच बहुत कुछ ऐसा बचा रहता है जो नए निर्माण की आशा को जीवित रखता है। बहुरंगी चरित्रों की इस महागाथा को बाँधे रखनेवाला एकमात्र सूत्र है, सहज मानवीय स्नेह। शाहजहाँ होटल में काम करते हुए नायक को सबसे अधिक ऐश्वर्य जो मिला वह था साथ काम करनेवालों का स्नेह। और यही स्नेह सब कुछ नष्ट हो जाने के बीच भी निर्माण की आशा को बरकरार रखता है।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1964
Edition Year 2023, Ed. 11h
Pages 365p
Translator Rajkamal Chaudhary
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.2 X 2.5
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Author: Shankar

शंकर

बंगला के सर्वाधिक चर्चित उपन्यासकार। ‘पथेर पांचाली’ की विश्वविश्रुत भूमि में 7 जनवरी, 1933 को जन्म। छोटी उम्र में ही बनगाँव से कलकत्ता चले आए। शिक्षा-दीक्षा वहीं हुई। प्रारम्भ से ही साहित्यानुरागी। आगे चलकर वैविध्यपूर्ण जीवनानुभव की तीव्रता के चलते लेखन की ओर प्रवृत्त हुए। प्रायः प्रत्येक कृति ख्याति के नए शिखर को छूती रही है। प्रथम उपन्यास ‘ये अनजाने’ 1954 में सुप्रसिद्ध बंगला पत्र ‘देश’ में प्रकाशित हुआ था जिसका इनकी अपनी कृतियों में ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण बंगला साहित्य में विशिष्ट स्थान है। 1958 में इनकी रम्य-रचना ‘जा बोलो ताई बोलो’ तथा 1960 में कहानी-संग्रह ‘एक दुई तीन’ प्रकाशित हुए। बहुचर्चित उपन्यास ‘चौरंगी’ 1962 में प्रकाशित। ‘योग-वियोग’, ‘स्थानीय समाचार’, ‘आशा-आकांक्षा’, ‘सीमाबद्ध सोने का घरौंदा’, ‘मरुभूमि’, ‘वित्त वासना’, ‘जन अरण्य’ आदि उल्लेखनीय उपन्यास हैं। ‘पात्र-पात्री’ इनका व्यंग्योपन्यास है तथा ‘ए पार बांग्ला ओ पार बांग्ला’ यात्रा-वृत्त। ‘सीमाबद्ध’ के आधार पर ही विश्वविख्यात सिने-निर्देशक सत्यजित रे ने बहुप्रशंसित फ़िल्म ‘कंपनी लिमिटेड’ बनाई थी। सत्यजित रे ने ‘जन अरण्य’ पर भी फ़िल्म बनाई जो अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुकी है।

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