Bhojpuri Lok-Geeton Mein Swadhinta Andolan

Editor: Anhad
Edition: 2014, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Bhojpuri Lok-Geeton Mein Swadhinta Andolan
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मानव की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आदि सभी चेतनाओं का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप लोकगीतों में समाहित रहता है। दरअसल ये लोकगीत हमारे वे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं जिनमें साधारण से साधारण घटना को आम लोगों ने लोकगीतों के अन्दाज़ में सहजता से दर्ज किया है। अवधी, भोजपुरी, ब्रज, बुन्देली, छत्तीसगढ़ी, मैथिली, मागधी आदि लोक-गीतों में राष्ट्रीय, साहित्यिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक तत्त्व अनेकानेक परतों में परम्परागत रूप से विद्यमान हैं। इन लोकगीतों के पीछे जो मार्मिक अनुभूतियाँ एवं सजीवता भरी है, वह अन्यत्र दुर्लभ है।

भारतीय इतिहास लेखन की परम्परा में लोक एवं लोकगीत अभी हाल तक अनुपस्थित रहे हैं। चाहे उपनिवेशवादी इतिहासकार हों, राष्ट्रवादी इतिहासकार हों, मार्क्सवादी इतिहासकार हों या उपाश्रयी इतिहासकार सबके लेखन से यह प्राय: अछूता ही रहा है। इधर इतिहासकारों का एक वर्ग लोकगीतों, लोक-परम्पराओं एवं लोक-संस्कृति को अपने अध्ययन एवं लेखन का केन्द्र बना रहा है, जिससे भारतीय इतिहास के अनेक अछूते तथ्य सामने आ रहे हैं।

स्वाधीनता संग्राम की समग्र तस्वीर लोकगीतों, लोक-कथाओं, लोक-मुहावरों आदि के अध्ययन के बिना नहीं तैयार की जा सकती। अवधी, भोजपुरी, मैथिली, बुन्देली, ब्रज, छत्तीसगढ़ी, राजस्थानी आदि लोकगीतों में इसकी जो विभिन्न छवियाँ हैं इनके द्वारा स्वतंत्रता संग्राम का एक समानान्तर इतिहास लिखा जा सकता है। इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने यही प्रयत्न करते हुए लोकगीतों के आलोक में भारतीय स्वाधीनता संग्राम को नए परिप्रेक्ष्‍य में समझने की सफल कोशिश की है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Anhad
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5
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Santosh Kumar Chaturvedi

Author: Santosh Kumar Chaturvedi

संतोष चतुर्वेदी

प्रोफेसर  (डॉ.) सन्तोष कुमार चतुर्वेदी का जन्म 2 नवम्बर, 1971 को हुआ। उन्होंने प्राचीन इतिहास तथा मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास में एम.ए., प्राचीन इतिहास विषय से डी.फिल. और एलएलबी की डिग्री ली है। पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया है। पूरी उच्च स्तरीय शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से प्राप्त की है।

उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘पहली बार’, ‘दक्खिन का भी अपना पूरब होता है’ (कविता-संग्रह); ‘चयनित कविताएँ’ (चयन); ‘भारतीय संस्कृति’, ‘भोजपुरी लोकगीतों में स्वाधीनता आन्दोलन’,  ‘बोल्शेविक क्रान्ति’ (इतिहास); ‘भक्ति आन्दोलन का वर्तमान परिप्रेक्ष्य’, ‘मुक्तिबोध : पाठ पुनःपाठ’ (आलोचना)।

वर्ष 1998 से 2010 तक ‘कथा’ पत्रिका के सहायक सम्पादक रहे। 2011 से ‘अनहद’ पत्रिका का सम्पादन-प्रकाशन और ब्लॉग ‘पहली बार’ का मॉडरेशन।

सम्प्रति : 15 जुलाई 2020 से महामति प्राणनाथ महाविद्यालय, मऊ, चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) के प्राचार्य।

ई-मेल : santoshpoet@gmail.com

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