Ummeed Se Banate Hain Raste

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Ummeed Se Banate Hain Raste
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संतोष कुमार चतुर्वेदी के इस संग्रह की कविताएँ भूलने के खिलाफ रचनाधर्मी विपक्ष के अस्तित्ववान होने का गवाह बनती हैं। अपनी समस्त रचनाधर्मिता के साथ जहाँ विपक्ष हो, वहाँ विचारों के चौराहे अनिवार्यत: होंगे ही। सुकरात और बुद्ध से ले कर मुक्तिबोध, धूमिल और आगे भी विपक्ष की रचनाधर्मिता ने इन चौराहों को बनाते हुए और इन्हीं चौराहों पर स्वयं को बनते हुए देखा है, विकल्पहीनता के हर दौर में विकल्पों को सृजित कर सता के नशे में चूर गढ़ों और मठों को ध्वस्त किया है।

कविता के पास चीजों को ‘हटकर देखने’ की आँख होती है । इस संग्रह की ज्यादातर कविताएँ इसका उदाहरण हैं। कील-कब्जे, कूड़ा करकट, पोस्टमॉर्टम, पासंग जैसी कविताएँ ‘दृश्य’ के दबाव में ‘अदृश्य’ रह गयी श्रमशीलता की महत्ता को पूरी संवेदना के साथ उजागर करती हैं। एक समूचा ‘अदृश्य’ परिवेश हमारे सामने कौंध उठता है जो ‘दृश्यता’ के भारी-भरकम तामझाम को अपने श्रम के बूते थामे हुए है।

कविता के असुविधाजनक और संघर्ष भरे पथ पर हर कोई नही चल सकता। ग़ालिब नें यों ही नहीं कहा था कि ‘जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।’ हर ‘छोटे’ और ‘बड़े’ कवि को हर दौर में हर कदम पर अपना आत्मविश्वास अर्जित करना पड़ता है, दुनियादारी के सर्वग्रासी खोल से बाहर निकल कर दुनिया का सामना करने के लिए। संतोष के कवि के पास यह आत्मविश्वास फिलवक्त है जो हिन्दी कविता के लिए आश्वस्ति की तरह है।

—प्रियम अंकित

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Santosh Kumar Chaturvedi

Author: Santosh Kumar Chaturvedi

संतोष चतुर्वेदी

प्रोफेसर  (डॉ.) सन्तोष कुमार चतुर्वेदी का जन्म 2 नवम्बर, 1971 को हुआ। उन्होंने प्राचीन इतिहास तथा मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास में एम.ए., प्राचीन इतिहास विषय से डी.फिल. और एलएलबी की डिग्री ली है। पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया है। पूरी उच्च स्तरीय शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से प्राप्त की है।

उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘पहली बार’, ‘दक्खिन का भी अपना पूरब होता है’ (कविता-संग्रह); ‘चयनित कविताएँ’ (चयन); ‘भारतीय संस्कृति’, ‘भोजपुरी लोकगीतों में स्वाधीनता आन्दोलन’,  ‘बोल्शेविक क्रान्ति’ (इतिहास); ‘भक्ति आन्दोलन का वर्तमान परिप्रेक्ष्य’, ‘मुक्तिबोध : पाठ पुनःपाठ’ (आलोचना)।

वर्ष 1998 से 2010 तक ‘कथा’ पत्रिका के सहायक सम्पादक रहे। 2011 से ‘अनहद’ पत्रिका का सम्पादन-प्रकाशन और ब्लॉग ‘पहली बार’ का मॉडरेशन।

सम्प्रति : 15 जुलाई 2020 से महामति प्राणनाथ महाविद्यालय, मऊ, चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) के प्राचार्य।

ई-मेल : santoshpoet@gmail.com

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