Aur Karvan Banta Gaya

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Aur Karvan Banta Gaya

यह पुस्तक बिहार शिक्षक-आन्दोलन के प्रखर नेता और पूर्व-सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह की आत्मकथा पुस्तक है जिसमें उन्होंने अपने निजी और सार्वजनिक जीवन के साथ-साथ अपने व्यापक अनुभवों के आधार पर बने विचारों को भी व्यक्त किया है। शिक्षक की अपनी मूल पहचान को अपने सार्वजनिक जीवन की धुरी मानते हुए उन्होंने जिस तरह लम्बे समय तक इस देश की सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक परिस्थितियों को समझा, यह पुस्तक उसका लेखा-जोखा है। इसलिए निजी यादों के विवरण से ज्यादा हम इसे एक वैचारिक दस्तावेज के रूप में भी पढ़ सकते हैं जिसमें शिक्षा-तंत्र और अध्यापकों के संघर्ष से लेकर देश के वर्तमान सामाजिक यथार्थ, ग्रामीण भारत की वस्तुस्थिति, मजदूरों का पलायन, सत्ता और भ्रष्टाचार का गठजोड़, अपराध की राजनीतिक ताकत से लेकर इधर के ताजातरीन मुद्दों, मसलन रोहित वेमुला की आत्महत्या तथा जे.एन.यू.में कन्हैया की अलोकतांत्रिक गिरफ्तारी तक पर विचार किया गया है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 204p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Author: Shatrughna Prasad Singh

शत्रुघ्न प्रसाद सिंह

जन्म : 1 जनवरी, 1943

शिक्षा : स्नातक (प्रतिष्ठा), गणेश दत्त कॉलेज, बेगूसराय, बिहार।

बी.एन.उच्च विद्यालय, तेयाय (बेगूसराय) में अध्यापक। अवधेश आवासीय उच्च विद्यालय, सफापुर, बेगूसराय में प्रधानाध्यापक।

अभिरुचि : समसामयिक विषयों पर निरन्तर लेखन।

साहित्यिक, सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियाँ : अनुमंडल सचिव, बेगूसराय-1967 से 1972; कार्यालय सचिव, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ-1972 से 1975; बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव पद पर 1975-80, 1982 से 1992; बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष पद पर 1981 से 1982 एवं 2016 से अद्यतन; बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष पद पर 1992 से 2016; शिक्षक कर्मचारी समन्वय समिति के अध्यक्ष 1989 से 1996; दरभंगा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधान परिषद् के सदस्य 7 मई, 1984 से
6 मई, 1996; बलिया (बेगूसराय) लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सदस्य 1996 से 1998; अध्यक्ष, बरौनी तेलशोधक मज़दूर यूनियन अद्यावधि; अध्यक्ष, रामचरित्र सिंह महाविद्यालय, बाहट, बेगूसराय; सचिव, शासी निकाय, रामविलास महाविद्यालय तेयाय, तघड़ा, बेगूसराय; संरक्षक, जननाट्य संघ (इप्टा), बिहार।

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