Agyeya Ka Kavya-Hard Back

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9789352210572
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अज्ञेय को बहुधा व्यक्तिवादी या अस्तित्ववादी कहा जाता है। यह तय है कि अज्ञेय व्यक्तित्व को मूलगामी मानते थे, न कि सामाजिक सम्बन्धों का उत्पाद; व्यक्तित्व को अनन्यता, अद्वितीयता, मौलिकता वगैरह को उन्होंने भारी महत्त्व दिया। अस्तित्वाद की भी इसमें एक भूमिका थी। महत्त्व की बात लेकिन यह है कि उनका व्यक्तित्ववाद भी प्रबुद्ध बुर्जुआ व्यक्तिवाद ही था जिसमें लोकतंत्र, आधुनिकता, धर्मनिरपेक्षता, मानवाधिकार के प्रति प्रतिबद्धता निहित थी। सांस्कृतिक व्यक्तित्व होने के नाते ही व्यक्तिगत सम्बन्धों में भारत के बड़े पूँजी घरानों से जुड़ने के बावजूद वे एक अकेलापन भी भोगते हैं। यह अकेलापन दुतरफ़ा है। समाज के जिस तबके में उनका जीवन बसर होता है, उसके सम्बन्ध कृत्रिम हैं। दूसरी ओर उनकी दृष्टि में व्यापक जनसमाज की ‘भीड़’ और कोलाहल में व्यक्ति की निजता का कोई मोल नहीं।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 111P
Price ₹300.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Pranay Krishna

Author: Pranay Krishna

प्रणय कृष्ण

जन्म : इलाहबाद में।

उच्च शिक्षा : इलाहबाद विश्वविद्यालय एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय।

सन् 1990 से छात्र राजनीति में सक्रियता, 1993-94 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे। सन् 1994 से सी.पी.आई. (एम.एल.) की राजनीति के हमसफ़र। फ़‍िलहाल ‘जन संस्कृति मंच’ और मानवाधिकार संस्था 'पीपुल्स यूनियन फ़ॉर ह्यूमन राइट्स' के मोर्चे पर सक्रिय। 2002 में गुजरात नरसंहार पर 'पीपुल्स यूनियन फ़ॉर ह्यूमन राइट्स' की जाँच रिपोर्ट तैयार की। ‘समकालीन जनमत’ के सम्‍पादक रहे। 1996 से इलाहबाद विश्व विद्यालय के हिन्‍दी विभाग में प्राध्यापन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘उत्तर-औपनिवेशिकता के स्रोत’, ‘शती स्मरण’, ‘प्रसंगवश : साहित्य और समाज की चंद बहसें’, ‘मैनेजर पाण्डेय का आलोचनात्मक संघर्ष’, ‘समकालीन कविता : एक साक्ष्य विमर्श और आलोचना’।

सम्मान : 'उत्तर-औपनिवेशिकता के स्रोत' नामक पुस्तक के लिए 2008 में ‘देवीशंकर अवस्थी सम्मान’।

सम्प्रति : इलाहबाद विश्वविद्यालय के हिन्‍दी विभाग में प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत।

 

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