प्रस्तुत पुस्तक ‘आर्थिक संवृद्धि और विकास’ में अर्थशास्त्र में हुए नवीन विचारों, धारणाओं और सिद्धान्तों का समावेश किया गया है। प्रायः सभी अध्यायों में महत्त्वपूर्ण विषय सामग्री सम्मिलित की गई है। जटिल विषयों को सरल भाव में उदाहरणों और रेखाचित्रों द्वारा स्पष्ट किया गया है। विश्वव्यापीकरण के इस युग में राष्ट्र के आर्थिक, औद्योगिक एवं व्यावसायिक वातावरण के क्षेत्र में तेज़ी से परिवर्तन हो रहे हैं। इसके फलस्वरूप राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में जो एक नए आर्थिक परिवेश का निर्माण हो रहा है, उन्हें ध्यान में रखते हुए भारतीय आर्थिक नीति के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक आधार पर प्रस्तुत किया गया है। विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक अध्यापकों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों तथा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेनेवाले परीक्षार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा कर पाने में सफल होगी।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2014 |
Edition Year | 2014, Ed. 1st |
Pages | 567p |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 24 X 19 X 2.5 |