Aadha Gaon-Paper Back

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‘आधा गाँव’ भाषा, शिल्प, कथ्य और कथा-विन्यास की दृष्टि से लाजवाब उपन्यास है।...हिन्दी का पहला ऐसा उपन्यास जिसमें भारत-विभाजन के समय की शिया मुसलमानों की मनःस्थितियों का बेलाग और सटीक शब्दांकन मिलता है। ये मनःस्थितियाँ उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले के गंगौली गाँव को केन्द्र में रखकर उकेरी गई हैं। 1947 के परिप्रेक्ष्य में लिखे गए इस उपन्यास में साम्प्रदायिकता के विरुद्ध गहरा प्रहार है। यह प्रहार सृजनात्मक लेखन का सबूत बनकर राष्ट्रीयता के हक़ में खड़ा हो जाता है। इस उपन्यास में लेखकीय चिन्ता है कि गंगौली में अगर गंगौली वाले कम और शिया, सुन्नी और हिन्दू ज़्यादा दिखाई देने लगे तो गंगौली का क्या होगा? यही वह ख़ास चिन्ता है जिसने इस उपन्यास को अद्वितीय की श्रेणी में ला खड़ा करता है क्योंकि गंगौली को भारत मान लेने की गुंजाइश है जहाँ विविध धर्मों के लोग रहते हैं...गंगोली से उठा यह प्रश्न जब भारत के सन्दर्भ में उठता है तब इस उपन्यास में निहित राष्ट्रीयता का सन्दर्भ व्यापक हो जाता है। गतिशील रचनाशिल्प, आंचलिक भाषा सौन्दर्य, सांस्कृतिक परिवेश का जीवन्त चित्रण, सहज-सटीक दो टूक टिप्पणियों वाले संवाद इस उपन्यास की विशेषता हैं जो ‘आधा गाँव’ को हिन्दी उपन्यासों में विशिष्ट दर्जा दिलाते हैं।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1984
Edition Year 2023, Ed. 26th
Pages 344p
Price ₹399.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Rahi Masoom Raza

Author: Rahi Masoom Raza

राही मासूम रज़ा

आपका जन्म 1 सितम्बर, 1925 को ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ।

प्रारम्भिक शिक्षा वहीं, परवर्ती अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से ही 'उर्दू साहित्य के भारतीय व्यक्तित्व’ पर पीएच.डी.। अध्ययन समाप्त करने के बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में अध्यापन-कार्य से जीविकोपार्जन की शुरुआत। कई वर्षों तक उर्दू साहित्य पढ़ाते रहे। बाद में फ़िल्म-लेखन के लिए बम्बई गए। जीने की जी-तोड़ कोशिशें और आंशिक सफलता। फ़िल्मों में लिखने के साथ-साथ हिन्दी-उर्दू में समान रूप से सृजनात्मक लेखन। फ़िल्म-लेखन को बहुत से लेखकों की तरह 'घटिया काम’ नहीं, बल्कि 'सेमी क्रिएटिव’ काम मानते थे। बी.आर. चोपड़ा के निर्देशन में बने महत्त्वपूर्ण दूरदर्शन धारावाहिक 'महाभारत’ के पटकथा और संवाद-लेखक के रूप में प्रशंसित।

एक ऐसे कवि-कथाकार, जिनके लिए भारतीयता आदमीयत का पर्याय रही।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘आधा गाँव’, ‘टोपी शुक्ला’, ‘हिम्मत जौनपुरी’, ‘सीन : 75’, ‘असन्तोष के दिन’, ‘ओस की बूँद’, ‘दिल एक सादा काग़ज़’, ‘कटरा बी आर्जू’, ‘नीम का पेड़’ (हिन्दी उपन्यास); ‘कारोबारे तमन्ना’, ‘क़यामत’, ‘मुहब्बत के सिवा’ (उर्दू उपन्यास); ‘मैं एक फेरीवाला’ (हिन्दी कविता-संग्रह); ‘नया  साल’, ‘मौजे-गुल : मौजे सबा’, ‘रक्से-मय’, ‘अजनबी शहर : अजनबी रास्ते’ (उर्दू कविता-संग्रह); ‘अट्ठारह सौ सत्तावन’ (हिन्दी-उर्दू महाकाव्य) तथा ‘छोटे आदमी की बड़ी कहानी’ (जीवनी)।

निधन : 15 मार्च, 1992

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